50 साल से नहीं बदले हैं अंतरिक्ष के नियम, नए नियमों को बनाने की जरूरत को किया महसूस

पिछले साल नवंबर में संयुक्त राष्ट्र आम सभा (UNGA) के प्रथम समिति ने औपचारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि अंतरिक्ष (Space) और अंतरिक्ष की संपत्तियां मानव अनुभवों को बेहतर बनाने के अंतरराष्ट्रीय प्रायासों में भूमिका निभाते हैं

Update: 2022-01-06 14:42 GMT

पिछले साल नवंबर में संयुक्त राष्ट्र आम सभा (UNGA) के प्रथम समिति ने औपचारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि अंतरिक्ष (Space) और अंतरिक्ष की संपत्तियां मानव अनुभवों को बेहतर बनाने के अंतरराष्ट्रीय प्रायासों में भूमिका निभाते हैं. इसके साथ ही समिति ने यह भी माना का इन लक्ष्यों में अंतरिक्ष की सैन्य गतिविधियां भी बाधाएं डालती हैं. समिति ने एक समूह बनाया है जो आज और कल के अंतरिक्ष क्रिया कलापों के लिए खतरा पैदा करने वाले बर्तावों की पहचान करेगा जिन्हें गैरजिम्मेदाराना माना जा सकता है. अब इसके लिए नए नियमों (Space Rules) को बनाने की जरूरत को भी महसूस किया गया जो पिछले 50 साल बिलकुल नहीं बदले हैं.

50 सालों में बहुत बदल गई है दुनिया
पिछले 50 सालो में अंतरिक्ष अन्वेषण ही नहीं दुनिया की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तक में बहुत बदलाव आ गया है. अंतरिक्ष की दुनिया में अमेरिका और रूस के अलावा भी दूसरे देश आ गए हैं. शीत युद्ध खत्म हो गया है. नई अंतरिक्ष स्पर्धा में रूस की जगह चीन ने ले ली है. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रतिस्पर्धा ने नया रूप ले लिया है. उस समय जब अंतरराष्ट्रीय बाह्य अंतरिक्ष समझौता अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए अंतिम नियमावली साबित हुआ था.
एक बड़ी जिम्मेदारी
संयुक्त राष्ट्र के इस समूह का काम अंतरिक्ष संबंधी जिम्मेदार बर्तावों के लिए लिए सिद्धांतों, नियमों और मानकों की अनुशंसा करना होगा और वैधानिक रूप से बाध्य उपकरणों के लिए बातचीत के लिए योगदान देना होगा. इसमें अंतरिक्ष हथियारों की होड़ को रोकने के लिए संधि भी शामिल होगी
रूस का एक कदम
उल्लेखनीय है कि इसके ठीक दो सप्ताह बाद ही रूस ने अपने एक मिसाइल परीक्षण में पृथ्वी से मिसाइल छोड़ कर अपने ही पुराने सैटेलाइट को नष्ट कर दिया. इससे अवशेषों का विशाल बादल बन गया जिससे बहुत सी अंतरिक्ष सम्पत्ति को खतरा पैदा हो गया जिसमें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी शामिल है
सही समय पर संकल्प
संयुक्त राष्ट्र की प्रथम समिति का काम निरस्त्रीकरण, वैश्विक चुनौतियों और खतरों से निपटना है जो अंतरराष्ट्री समुदाय की शांति को प्रभावित करते हैं. द कंवरसेशन में प्रकाशित अपने लेख में मिसीसिपी यूनिवर्सिटी में एयर एंड स्पेस लॉ के प्रोफेसर माइकल एलडी हैनलोन और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटीअंतरिक्ष कानून में और अंतरिक्ष व्यवसाय के व्यापार के नीति विशेषज्ञ हैं. उनका मानना है कि यह संकल्प बहुत ही सही समय पर आया है.
पांच दशक पुरानी संधि
1967 में आउटर स्पेस ट्रीटी यानि बाह्य अंतरिक्ष संधि समाने आई थी. इस संधि पर दुनिया के 111 देशों मने हस्ताक्षर किए थे. इस संधि ऐसे समय में चर्चा हुए थी जब दुनिया पर शीत युद्ध का साया थ और अंतरिक्ष में जाने की केवल दो ही देशों में क्षमता थी. इस संधि में दुनिया के देशों के लिए अंतरिक्ष संबंधी सिद्धांतों के लिए मोटे तौर पर दिशानिर्देश थे. लेकिन इसमें विस्तार से नियम कानून नहीं थे.
संधि में खामियां
इस संधि की खास बात यही थी कि इसमें मानवता के लिए चंद्रमा सहित अंतरिक्ष के स्वतंत्र अन्वेषण और मानवता के लिए उपयोगी की छूट थी. लेकिन इसमें यह कहा गया था कि अंतरिक्ष में स्थिति चंद्रमा और अन्य खगोलीय पंडों का उपयोग शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए होगा. इसके अलावा इसका एक प्रवाधान कहता था कि अंतरिक्ष में गतिविधियां सभी संबंधित पक्ष के हितों के लिए चलाई जाएंगी.
तब से अब में बहुत परिवर्तन आ गया है. अंतरिक्ष अब सैन्य गतिविधियों का स्थान और स्रोत तक बनने में सक्षम है. ऐसे में अंतरिक्ष के सैन्य उपयोग संबंधी नियम लाने जरूरी हैं. हो सकता है इसमें कई नई तरह की मिसाइलें तक आ जाएं. अंतरिक्ष क्षेत्र में उपयोग के शातिपूर्वक भी हो रहे हैं. आने वाले समय में मानवता की अंतरिक्ष पर आर्थिक निर्भरता भी बढ़ती जाएगी. उम्मीद की जा रही है इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र का पहला कदम कारगर नतीजे देगा.

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