भारतीय भूवैज्ञानिकों के सर्वे से प्राचीन सरस्वती नदी के ऐतिहासिक पहलू आएंगे सामने

भारतीय भूवैज्ञानिकों के सर्वे

Update: 2021-10-07 12:00 GMT

प्राचीन एवं पवित्र सरस्वती नदी के परत दर परत इतिहास का सर्वे किया जाएगा। यह सर्वे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग सहित देश के जाने माने भू वैज्ञानिक करेंगे। सर्वे की रिपोर्ट एक साल में सौंपी जाएगी। रिपोर्ट के बाद ही पवित्र सरस्वती नदी के पहलुओं का खुलासा होगा। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सरस्वती एक्सीलेंट रिसर्च सेंटर के सभागार में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, इसरो व आनलाइन प्रणाली से जुड़े वैज्ञानिकों के साथ बैठक की।

सबसे पहले भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की प्रोजेक्ट निदेशक डा. दिपाली कपूर, वरिष्ठ वैज्ञानिक मनोज शुक्ला, हर्ष तिवारी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सरस्वती उत्तमता शोध केंद्र के निदेशक डा. एआर चौधरी, आनलाइन इसरो के पूर्व महाप्रबंधक जेआर शर्मा, उप निदेशक बीके बांदरा, इसरो के सेवानिृवत निदेशक एके गुप्ता, सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के शोध अधिकारी डा. दीपा व जीएस गौतम ने प्राचीन सरस्वती नदी को लेकर किए जा रहे सर्वे के ऊपर तकनीकी रूप व वैज्ञानिक दृष्टि से चर्चा की।
सरकार लगातार कर रही है प्रयास
बोर्ड के उपाध्यक्ष ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मार्गदर्शन में प्राचीन सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर प्रवाहित करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। नदी को प्रवाहित करने के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, इसरो व देश के जाने माने भूवैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है। वैज्ञानिक हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात राज्यों में सरस्वती नदी के उदगम स्थल से लेकर गुजरात तक के पूरे चैनल का सर्वे करेंगे। इन राज्यों में धरती के नीचे पानी के चैनल, इनकी उत्पत्ति और अभी तक धरती के नीचे बहने के स्थान के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। इसके साथ मिट्टी की परत दर परत पर भी शोध किया जाएगा। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के बीच 2018 में द्विपक्षीय समझौत (एमओयू) हुआ था।
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