NASA करेगा Gruithuisen Domes की जांच, 2026 तक लॉन्च होंगे दो नए मिशन
NASA की खबर
नासा (NASA) के वैज्ञानिक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर उतारने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहे हैं. लेकिन अपने इस मिशन के अलावा भी नासा बहुत कुछ करना चाहता है. नासा ने अपनी प्राथमिकता तय कर ली है कि उसे पहले क्या करना है.
वैज्ञानिक सबसे पहले ग्रुइथुसेन डोम्स (Gruithuisen Domes) नाम के बेहद रहस्यमयी जियोलॉजिकल आकृतियों की जांच करना चाहते हैं. ये ग्रेनाइट जैसी चट्टान के दो रहस्यमय टीले लगते हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि ये सिलिका वाले मैग्मा से बने हो सकते हैं.
लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि इस तरह का मैग्मा आमतौर पर पृथ्वी पर, टेक्टोनिक प्लेटों के शिफ्ट होने की वजह से पानी और ज्वालामुखी गतिविधियों, दोनों की मौजूदगी में बनता है और चंद्रमा पर इनमें से कोई भी मौजूद नहीं है.
इसके लिए नासा ने चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक उपकरणों के दो अलग सेट भेजने की योजना बना ली है, जिनमें से एक इन रहस्यमयी गुंबदों को करीब से देखेगा. ये है लूनर वल्कन इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी एक्सप्लोरर (Lunar Vulkan Imaging and Spectroscopy Explorer-Lunar-VISE). इसे लॉन्च करने के लिए नासा प्राइवेट स्पेस इंडस्ट्री की मदद लेगा. यह पांच उपकरणों का एक सूट है, जिनमें से दो एक स्थिर लैंडर पर माउंट होंगे और बाकी तीन मोबाइल रोवर पर लगाए जाएंगे.
एक्सप्लोरर के पास दो ग्रुइथुसेन डोम्स में से एक पर चढ़ने और इसकी रासायनिक संरचना का पता लगाने के लिए दस दिन का समय होगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि तब इसका रहस्य सामने आ जाएगा. नासा को उम्मीद है कि Lunar-VISE के नतीजे, आने वाले समय पर चंद्रमा के बाकी मिशनों के लिए भी मददगार साबित होंगे.
नासा का एक और मिशन है- ल्यूनर एक्सप्लोरर इंस्ट्रूमेंट फॉर स्पेस बायोलॉजी एप्लिकेशन (Lunar Explorer Instrument for space biology Applications- LEIA) साइंस सूट, यीस्ट (Yeast) पर चंद्रमा के कम गुरुत्वाकर्षण और रेडिएशन पर्यावरण के प्रभावों का अध्ययन करेगा. यह एक मॉडल है जो डीएनए डैमेज रिस्पॉन्स और रिपेयर को समझने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अगर सब कुछ ठीक रहता है, तो नासा इन दोनों पेलोड को 2026 तक चंद्रमा पर लॉन्च कर देगा.