जानिए हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या पर करें इन वृक्षों का रोपण
Hariyali Amavasya 2022 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में सावन माह की अमावस्या तिथि को विशेष तिथि माना जाता है। श्रावण का महीना भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है और इस माह में पड़ने वाली अमावस्या इस वजह से और भी विशेष हो जाती है। मान्यता है कि यदि इस दिन पितरों को पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा हरियाली अमावस्या के दिन पर्यावरण की भी विशेष महत्ता है। इस दिन नए वृक्षों का रोपण भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन वृक्षारोपण करने से सभी प्रकार के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि श्रावणी अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने से जीवन के सारे कष्ट दोष दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व।
जानें हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या तिथि
अमावस्या तिथि आरंभ: 27 जुलाई, बुधवार, रात्रि 09:14 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 जुलाई, गुरुवार, रात्रि 11: 24 मिनट पर
जानें हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
क्या है धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास में महादेव के पूजन का विशेष महत्व है। हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिव-पार्वती के पूजन करने से उनकी सदैव कृपा बनी रहती है और प्रसन्न होकर वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण करते हैं। कुंवारी कन्याएं इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है। इसके अलावा सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्पदोष,पितृदोष और शनि का प्रकोप है वे हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, पंचामृत या रुद्राभिषेक करें तो उन्हें लाभ होगा। इस दिन शाम के समय नदी के किनारे या मंदिर में दीप दान करने का भी विधान है। श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध,दान एवं वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से प्राप्ति होती है।
हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक महत्व
यदि हरियाली अमावस्या के वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात की जाए तो हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण की ओर भी ध्यान केंद्रित करती है। हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व और धरती को हरी-भरी बनाने का संदेश देती है। पेड़-पौधे जीवंत शक्ति से भरपूर प्रकृति के ऐसे अनुपम उपहार है जो सभी को प्राणवायु ऑक्सीजन तो देते ही हैं,पर्यावरण को भी शुद्ध और संतुलित रखते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण सृष्टि में जो भी उथल पुथल हो रही है उसको वृक्षारोपण के माध्यम से संतुलित किया जा सकता है। इसीलिए यह अमावस्या महज एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि पृथ्वी को हरी-भरी बनाने का संकल्प पर्व भी है।
हरियाली अमावस्या पर करें इन वृक्षों का रोपण
शास्त्रों में हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण का विधान बताया गया है। इस दिन पीपल, शमी, आंवला, अर्जुन,नारियल,बरगद(वट) का वृक्ष और अशोक के पेड़ लगाने चाहिए।
पदम् पुराण में कहा गया है कि एक पीपल का वृक्ष लगाने से मनुष्य को सैकड़ों यज्ञ करने से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। पीपल के दर्शन से पापों का नाश, स्पर्श से लक्ष्मी की प्राप्ति एवं उसकी प्रदिक्षणा करने से आयु बढ़ती है।
गणेश और शिव को प्रिय शमी का वृक्ष लगाने से शरीर आरोग्य बनता है।
श्रीविष्णु का प्रिय वृक्ष आंवला लगाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
अशोक लगाने से जीवन के समस्त शोक दूर होते हैं एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए लगाएं।
संतान की सुख-समृद्धि के लिए पीपल,नीम, बिल्व,गुड़हल और अश्वगंधा के वृक्ष लगाना हितकर होगा।
कुशाग्र बुद्धि पाने के लिए आंकड़ा, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी एवं तुलसी लगाना शुभ परिणाम देगा।