Scienceविज्ञान: आसमान में चमकता हमारा सूरज देखने में जितना आकर्षक है, उतना ही रहस्यमय भी है। यह ऊर्जा का अथाह स्रोत है, लेकिन इसके भीतर कई अनसुलझे सवाल छिपे हैं। इनमें सबसे बड़ा रहस्य यह है कि सूर्य की बाहरी परत जिसे 'कोरोना' कहा जाता है, सूर्य की सतह से लाखों गुना ज़्यादा गर्म क्यों है? वैज्ञानिक दशकों से इस पहेली को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब इस पहेली को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
27 फरवरी 2025 को नासा 'पंच - पोलारिमीटर टू यूनिफाई द कोरोना एंड हीलियोस्फीयर' नाम से एक क्रांतिकारी मिशन लॉन्च करने जा रहा है। यह मिशन सूर्य की बाहरी परत और उससे निकलने वाली सौर हवाओं के रहस्यों को उजागर करने में मदद करेगा। आइए जानते हैं कि यह मिशन कैसे काम करेगा और किन रहस्यों को सुलझाने में मदद करेगा?
क्या है पंच मिशन?
पंच मिशन नासा का एक नया अंतरिक्ष अन्वेषण प्रोजेक्ट है, जिसे सूर्य की बाहरी परत यानी 'कोरोना' और सौर वायुमंडल (हेलियोस्फीयर) का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह चार छोटे उपग्रहों का समूह होगा, जो मिलकर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हुए इसकी विस्तृत तस्वीरें भेजेंगे। यह मिशन सौर हवाओं, कोरोना मास इजेक्शन (सीएमई) और अंतरिक्ष मौसम को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा।
पंच मिशन से कौन से रहस्य सुलझेंगे?
सूर्य की बाहरी परत का रहस्य: पंच मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य की सबसे बाहरी परत, जिसे कोरोना कहते हैं, का अध्ययन करना है। यह परत सूर्य की सतह से लाखों गुना ज़्यादा गर्म है, लेकिन वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि यह इतनी गर्म क्यों है। पंच मिशन से इस रहस्य को सुलझाने की उम्मीद है।
सौर तूफानों की भविष्यवाणी: जब सूर्य पर शक्तिशाली विस्फोट होते हैं, तो वे पृथ्वी की ओर तेज़ ऊर्जा वाले कण भेजते हैं, जिन्हें 'सौर तूफान' कहा जाता है। ये तूफान हमारे संचार तंत्र, जीपीएस सिस्टम और अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पंच मिशन इन तूफानों की उत्पत्ति और प्रभावों को समझने में मदद करेगा, जिससे भविष्य में इनका पूर्वानुमान बेहतर होगा।
सौर हवाओं की उत्पत्ति और गति: सूर्य लगातार अंतरिक्ष में आवेशित कण छोड़ता रहता है, जिन्हें सौर हवाएँ कहते हैं। यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराकर ऑरोरा यानी उत्तरी रोशनी जैसी खूबसूरत घटनाओं को जन्म देता है, लेकिन कई बार यह पृथ्वी के लिए खतरनाक भी हो सकता है। पंच मिशन सौर हवाओं के स्रोत और उनकी गति को समझने में मदद करेगा।
अंतरिक्ष के मौसम पर प्रभाव: पंच मिशन अंतरिक्ष के मौसम को समझने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह मिशन पृथ्वी के वायुमंडल, उपग्रहों और यहां तक कि अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली घटनाओं का गहराई से अध्ययन करेगा।
मंगल और अन्य ग्रहों की सुरक्षा: पंच मिशन से जो भी जानकारी एकत्र की जाएगी, वह न केवल पृथ्वी बल्कि मंगल और अन्य ग्रहों के लिए भी महत्वपूर्ण होगी। अंतरिक्ष एजेंसियां भविष्य में मंगल पर मानव बस्ती की योजना बना रही हैं, लेकिन सौर हवाएं और विकिरण मनुष्यों को प्रभावित कर सकते हैं। पंच मिशन इन पहलुओं को समझने में मदद करेगा।
कैसे काम करेगा पंच मिशन?
पंच मिशन में चार उपग्रह होंगे, जो मिलकर सूर्य की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग करेंगे। ये छोटे उपग्रह सौर हवाओं और कोरोना मास इजेक्शन की 3डी इमेज बनाएंगे, जिससे वैज्ञानिकों को सूर्य और उसके प्रभावों के बारे में व्यापक जानकारी मिलेगी। यह डेटा धरती पर स्थित वेधशालाओं और अंतरिक्ष मिशन नियंत्रण केंद्र को भेजा जाएगा, ताकि सौर गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा सके।
दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए होगा फायदेमंद
पंच मिशन का संचालन भले ही नासा कर रहा है, लेकिन इसका डेटा दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए भी उपयोगी होगा। भारत भी सूर्य के अध्ययन में दिलचस्पी रखता है और इसरो ने हाल ही में आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च किया है, जो पंच मिशन की तरह ही सूर्य का अध्ययन कर रहा है। ऐसे में पंच मिशन से मिलने वाली जानकारी भारतीय वैज्ञानिकों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सूर्य के रहस्यों को जानने की दिशा में यह बेहद अहम कदम है। इससे न सिर्फ हमें सौर तूफानों और सौर हवाओं के असर की बेहतर समझ मिलेगी, बल्कि अंतरिक्ष में मानवीय गतिविधियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। 27 फरवरी को लॉन्च होने वाला यह मिशन आने वाले सालों में अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में नए आयाम जोड़ सकता है।