क्या स्पेस में है बरमूडा ट्रायंगल? कई रिसर्च के बाद भी रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए वैज्ञानिक

क्या स्पेस में भी है बरमूडा ट्रायंगल?

Update: 2021-10-08 10:36 GMT

बरमूडा ट्रायंगल बीते काफी लंबे समय से रहस्य बना हुआ है। यह अटलांटिक महासागर में वह क्षेत्र है जहां कई विमान, एयरक्राफ्ट और जहाज रहस्यमयी तरीके से गायब हो चुके हैं। कई रिसर्च के बाद भी वैज्ञानिक इसके रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए हैं। कई सालों से वैज्ञानिक इसके राज को जानने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनको कामयाबी नहीं मिली है। यह स्थान उत्तर अटलांटिक महासागर में स्थित ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है। यह स्थान संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर मियामी (फ्लोरिडा) से 1770 किलोमीटर और हैलिफैक्स, नोवा स्कोटिया, (कनाडा) के दक्षिण में 1350 किलोमीटर (840 मील) की दूरी पर स्थित है।

लेकिन क्या आपको मालूम है कि अंतरिक्ष में भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसे बरमूडा कहा जाता है। अंतरिक्षयात्रियों को इस क्षेत्र से गुजरते वक्त अजीबो-गरीब एहसास होता है। इस क्षेत्र में जाते ही अंतरिक्षयानों के सिस्टम और कंप्यूटरों में खराबी आ जाती है। इस क्षेत्र में अंतरिक्षयात्रियों को एक भीषण चमक नजर आती है
अंतरिक्ष में स्थित बरमूडा ट्रायंगल दक्षिण अटलांटिक महासागर और ब्राजील के ठीक ऊपर आसमान में है। जब इस क्षेत्र से कोई अंतरिक्षयान या स्पेस स्टेशन जाता है तो कंप्यूटर रेडिएशन का शिकार हो जाता है। अंतरिक्षयात्रियों की आंखें भयानक सफेद चमक की वजह से चकाचौंध हो जाती हैं।
इस क्षेत्र से जल्द निकलना चाहते हैं अंतरिक्ष यान
अंतरिक्ष में स्थित बरमूडा ट्रांयगल को स्पेस यात्री साउथ अटलांटिक एनोमली कहते हैं। अंतरिक्ष में इस इलाके से जाने वाले अंतरिक्ष यान और स्पेस स्टेशन जल्द से जल्द इसको पार करने की कोशिश करते हैं। इस क्षेत्र से जाने वाले सैटेलाइट को भी रेडिएशन के हमले का शिकार होना पड़ता है। कंप्यूटर सिस्टम काम नहीं करते हैं जिसकी वजह से नासा की अंतरिक्ष दूरबीन हबल भी यहां से गुजरते समय काम नहीं करती है।
जानिए क्या कहते हैं वज्ञानिक
वैज्ञानिकों का कहना है कि सूरज से हमेशा तेज किरणें बाहर आती हैं। सूरज से निकलने वाले वाली किरणों में इलेक्ट्रॉन और रेडिएशन भी होता है। जब यह रेडिएशन सूरज की रोशनी के साथ धरती के पास पहुंचता है, तो धरती के ऊपर स्थित एक परत जिसे वैन एलेन बेल्ट कहते हैं वो रेडिएशन को हमारी धरती पर आने से रोकती है। इससे अंतरिक्ष में उसी इलाके में सूरज से आने वाले रेडिएशन का असर अधिक दिखता है।
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