अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा- आंखों का ब्लड सर्कुलेशन इन बीमारियों का करता है इशारा

अमेरिकी शोधकर्ताओं

Update: 2021-10-05 14:29 GMT

एक साधारण सी आंखों की जांच दिल की बीमारी के खतरे को बताएगी। इंसान को हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा कितना है, इस जांच से यह पता चल सकेगा। अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है, रेटिना की जांच करके यह बताया जा सकता है कि इंसान की आंखों में ब्लड का सर्कुलेशन कितना कम है। यही बात हृदय रोगों का इशारा करती है।


यह दावा अमेरिका के सैनडिएगो की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है।

इसलिए आंखों की जांच देती है सटीक नतीजे
शोधकर्ताओं का कहना है, शरीर में ब्लड सर्कुलेशन घटने पर या पर्याप्त न होने पर इसका असर आंखों के रेटिना की कोशिकाओं पर भी होता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रेटिना सर्जन डॉ. मैथ्यु बेकहम कहते हैं, इसकी जांच से भविष्य में हृदय रोगों का खतरा कम किया जा सकेगा।

रिसर्च के मुताबिक, रेटिना की जांच करके स्कीमिया नाम के हृदय रोग का पता लगाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में शरीर में ऑक्सीजन का लेवल गिरता है और धमनियों के डैमेज होने का खतरा बढ़ता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक योजना बना रहे हैं कि रेटिना की जांच में जिन भी मरीजों में स्कीमिया का लक्षण दिखेगा, उन्हें हृदय रोग विशेषज्ञों के पास रेफर किया जाएगा।

13,940 मरीजों पर हुई रिसर्च
शोधकर्ता कहते हैं, रेटिना से आंखों की बीमारियों को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने 13,940 मरीजों पर रिसर्च की। जुलाई 2014 से जुलाई 2019 के बीच इन मरीजों के रेटिना की जांच की गई। इस जांच में 84 लोगों में हृदय रोग की पुष्टि हुई। इन 84 में 58 कोरोनरी हार्ट डिजीज से जूझ रहे थे। वहीं, 26 मरीज को स्ट्रोक का अटैक पड़ा था। दोनों ही बीमारियों में मरीज का सीधा कनेक्शन ब्लड सर्कुलेशन से जुड़ा था।
क्यों जरूरी है रेटिना टेस्ट?
रेटिना टेस्ट की मदद से एक्सपर्ट ग्लूकोमा और मैकुलर होल जैसी बीमारियों का पता लगाते हैं। यह एक आसान जांच है और इस दौरान मरीजों को किसी तरह के दर्द से नहीं गुजरना पड़ता।

शोधकर्ता कहते हैं, आमतौर पर जब तक इंसान हृदय रोगों से नहीं जूझता, इससे जुड़ी जांचें नहीं कराता है। ऐसे में रेटिना की जांच मरीज की आंखों के साथ उसके दिल का हाल भी बता सकेगी। समय से हृदय रोगों का खतरा पता चलने पर खानपान और एक्सरसाइज के जरिए इसे रोका जा सकेगा।

यूके में हर साल 2 लाख से अधिक लोग हार्ट अटैक से जूझते हैं। वहीं, अमेरिका में यह आंकड़ा 8 लाख है। साल-दर-साल इन मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, इसलिए इसे कंट्रोल करने की जरूरत है।
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