Sawan Start to End Date 2024: जानिए सावन कब से चालू हो रहा है और कब खत्म हो रहा है, पूजा की विधि और महत्व

Update: 2024-06-27 07:26 GMT
Sawan Start Date to End Date 2024: हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित सावन मास का विशेष महत्व (particular importance) है। मान्यता है कि सावन में भगवान शंकर की विधि-विधान से उपासना करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और भोलेनाथ की कृपा से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। आपको बता दें कि इस साल सावन का महीना एक दुर्लभ संयोग के साथ शुरू हो रहा है। दरअसल इस साल सावन के पहले दिन ही सावन के पहले सोमवार का संयोग बन रहा है। सावन मास के सोमवार का अत्यधिक महत्व है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यह संयोग कई साल बाद बना है। सावन मास 22 जुलाई से आरंभ होगा और 19 अगस्त को सावन महीना का समापन होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन 5वां महीना माना जाता है। इस साल सावन में कुल पांच सोमवार पड़ेंगे। जानें उनकी तिथियां, भगवान शिव की पूजन विधि व सावन मास का महत्व-
सावन 2024 में पड़ने वाली सोमवार की तिथियां (Sawan Somwar Dates 2024)-
सावन का पहला दिन- 22 जुलाई 2024
सावन का पहला सोमवार- 22 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार- 29 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार- 05 अगस्त
सावन का चौथा सोमवार- 12 अगस्त
सावन का आखिरी दिन- 19 अगस्त
सावन में मंगला गौरी व्रत कब-कब हैं (Mangla Gauri Vrat Dates 2024): हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रथा जाता है। इस साल सावन महीने (month) में कुल चार मंगला गौरी व्रत पड़ेंगे।
पहला मंगला गौरी व्रत- 23 जुलाई
दूसरा मंगला गोरी व्रत- 30 जुलाई
तीसरा मंगला गौरी व्रत- 6 अगस्त
चौथा मंगला गौरी व्रत- 13 अगस्त
सावन की अमावस्या व पूर्णिमा कब है (Sawan Amavasya and Purnima Date): इस साल सावन महीने की अमावस्या 28 जुलाई 2024 को और सावन महीने की पूर्णिमा 19 अगस्त 2024 को है। सावन पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार मनाया जाता है।
सावन मास का महत्व- Importance of Sawan month-
हिंदू धर्म के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव (lord Shiv) को अतिप्रिय है। सावन महीने में शिवजी की विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सभी सोमवार व्रत रखता है उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
भगवान शंकर की पूजा विधि- Method of worship of Lord Shankar-
सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र (clean clothes) धारण करें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल (ganga jal) से अभिषेक करें।
शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
भगवान शिव को पुष्प व बेल पत्र अर्पित करें।
भगवान शिव की आरती (aarti) करें और भोग भी लगाएं।
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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