शनि हुए वक्री, इस उपाय और मंत्र से मिलेगी शांति
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए करें यह उपाय
शनि देव 23 मई से मकर राशि में वक्री यानी उलटी चाल से चलने जा रहे हैं और वह इस राशि में 11 अक्टूबर तक वक्री चाल में रहेंगे। धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि शनिदेव न्याय के देवता हैं और हर व्यक्ति को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। लेकिन वक्री अवस्था में शनिदेव कमजोर हो जाते हैं और पूर्ण फल नहीं दे पाते। मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि देव पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों के भी स्वामी हैं। कुंडली में अगर शनि शुभ स्थिति में हों तो सुख-शांति के साथ-साथ संपन्नता भी आती है लेकिन अगर अशुभ स्थिति में हों तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं वक्री हुए शनि की शांति के कुछ बेहद सरल उपाय के बारे में…
इन राशियों पर है शनि की साढ़ेसाती
पंचांग के अनुसार, शनिदेव कुल 141 दिनों के लिए वक्री रहने वाले हैं और इस दौरान जिन पर शनि की दशा, महादशा, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है, उनको सावधान रहकर अपना कार्य करना चाहिए। बता दें कि इस वक्त धनु, मकर, और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चलने वाली है और मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है।
शनिदेव देते हैं शुभ फल
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल, छाता, साबुत उड़द दाल, लोहा, तिल, काले रंग के कपड़े, अन्न, दवा आदि दान दे सकते हैं। वहीं अगर आपके आसपास शनिदेव का मंदिर है तो वहां जाकर शनिदेव के दर्शन करें और उनको सरसों के तेल से अभिषेक करें। ऐसा करने से शनिदेव शुभ फल देते हैं।
इनकी पूजा से शनिदेव होंगे शांत
शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमानजी की पूजा करें। आप चाहें तो हनुमान चालिसा या सुंदरकांड का पाठ कर सकते हैं। हनुमानजी के भक्तों को शनिदेव परेशान नहीं करते। इनका पाठ करने से शनि देव शांत हो जाते हैं। साथ ही हर रोज बड़े बुजुर्गों और काम करने वालों का सम्मान करें।
इस तरह शनिदेव को करें प्रसन्न
शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है इसलिए शनिवार के दिन लोहा या रबर से संबंधित चीजें बिल्कुल न खरीदें। आप चाहें तो शनिवार के दिन व्रत भी कर सकते हैं। ऐसा करने से शनि की दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। वहीं आप शनिवार के दिन ही काले कौवे या फिर काले कुत्ते को रोटी खिला दें। ऐसा करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
यह रत्न भी कर सकते हैं धारण
शनिदेव के शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए आप नीलम रत्न भी धारण कर सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वालों को नीलम रत्न नहीं धारण करना चाहिए। वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि वाले नीलम रत्न धारण कर सकते हैं। हालांकि इस रत्न को पहनने से ज्योतिषों की सलाह-मशविरा जरूर ले लें।
इन मंत्रों का करें जप
शनि के अशुभ परिणाम से बचने के लिए आप शनिदेव का वैदिक मंत्र का जप कर सकते हैं।
– ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
– ओम शं शनैश्चराय नमः।।
– ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
– शनि बीज मंत्र और तांत्रिक मंत्र
इन मंत्र का हर रोज जप करने से शनि शुभ परिणाम देने लगते हैं और शनि की दशा, महादशा, ढैय्या, साढ़ेसाती का नकारात्मक प्रभाव भी खत्म हो जाता है और शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।