इस नवरात्रि मातारानी के नौ स्वरूपों को चढ़ाएं उनका पसंदीदा भोग...

शक्ति स्वरूप मां भगवती की आराधना के दिन चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं

Update: 2021-04-06 01:00 GMT

शक्ति स्वरूप मां भगवती की आराधना के दिन चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं और 21 अप्रैल को समाप्त होंगे. नवरात्रि के दौरान मातारानी के नौ अलग-अलग रूपों का पूजन किया जाता है. माता के नौ स्वरूप अलग-अलग शक्तियों से संपन्न हैं. धार्मिक दृष्टि से नवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. मान्यता है कि इस दौरान मातारानी का विधि-विधान से पूजन करने से वे अत्यंत प्रसन्न होती हैं. भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और उनके सारे संकट दूर करती हैं.

अगर आप भी इस नवरात्रि अपनी किसी खास मनोकामना को पूर्ण करना चाहते हैं तो इस बार नौ दिनों तक मातारानी को अलग-अलग स्वरूपों के हिसाब से पसंदीदा भोग लगाएं. ताकि माता प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद दें. यहां जानिए किस दिन मां को क्या चीज भोग के रूप में अर्पित करनी चाहिए.
मां शैलपुत्री
पहले दिन माता शैलपुत्री का पूजन होता है. माता रानी वृषभ पर सवारी करती हैं और उन्हें सफेद घी बहुत पसंद हैं. आप उन्हें पहले दिन घी का भोग लगाएं. अगर गाय का घी हो तो बहुत ही अच्छा है
मां ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से व्यक्ति दीर्घआयु होता है. माता रानी के इस स्वरूप को घर में चीनी या मिश्री से बने मिष्ठान का भोग लगाएं. आप चाहें तो चीनी या मिश्री का भी भोग लगा सकती हैं.
मां चंद्रघंटा
तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित माना जाता है. मातारानी के इस स्वरूप का पूजन करने से सारे संकट और दुख दूर होते हैं. मां को दूध या दूध से बने मिष्ठान जैसे खीर, बर्फी आदि का भोग लगाएं.
मां कूष्मांडा
चौथे दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है. माता कूष्मांडा का पूजन करने से बौद्धिक क्षमता प्रबल होती है. व्यक्ति तेजवान बनता है. माता के इस स्वरूप को मालपुआ बेहद पसंद है. इसलिए उन्हें मालपुआ का भोग लगाएं.
मां स्कंदमाता
पांचवे दिन मां स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.स्कंदमाता का पूजन करने से मनचाही संतान की प्राप्ति होती है. मातारानी को केले का भोग अर्पित करें और पूजा के बाद ये भोग किसी किसी ब्राह्रमण को दान कर दें.

मां कात्यायनी
छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा का दिन है. मां कात्यायनी सुंदर रूप प्रदान करने वाली हैं. इनकी पूजा सभी प्रकार की बाधा को टालती है. मातारानी को शहद अति प्रिय है. इसलिए उन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए.
मां कालरात्रि
सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन करें. मां कालरात्रि घर के दुख और दरिद्रता को दूर करती हैं. माता को गुड़ प्रिय है, इसलिए उन्हें गुड़ या इससे बनी कोई अन्य चीज प्रसाद के तौर पर अर्पित करें. पूजन के बाद गुड़ किसी ब्राह्रमण को दान कर दें.

मां महागौरी
आठवां दिन महागौरी का है. महागौरी को हलवा और नारियल बेहद पसंद है. माता महागौरी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली देवी हैं.उन्हें अष्टमी के दिन हलवा और नारियल का भोग जरूर अर्पित करें.
मां सिद्धिदात्रि
नौवां और आखिरी दिन है माता सिद्धिदात्रि के पूजन का. मां सिद्धिदात्रि को काला चना, खीर पूड़ी, हलवा पूड़ी अत्यंत प्रिय है. ये भोग मां को अर्पित करने के बाद गरीबों को प्रसाद स्वरूप बांटें. ऐसा करने से घर में धन-धान्य, सुख समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है.


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