जानें कब है पहला प्रदोष व्रत, इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है।

Update: 2021-03-31 09:46 GMT

हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर महीने में दो त्रयोदशी तिथि आती है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त उपवास रखते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 09 अप्रैल, दिन शुक्रवार को है। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है।

09 अप्रैल को बन रहे ये शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:19 ए एम, अप्रैल 10 से 05:05 ए एम, अप्रैल 10 तक।
अभिजीत मुहूर्त- 11:45 ए एम से 12:36 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:07 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:17 पी एम से 06:41 पी एम तक।
अमृत काल- 10:10 पी एम से 11:53 पी एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:47 पी एम से 12:32 ए एम, अप्रैल 10 तक।
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प्रदोष व्रत के दिन राहुकाल व भद्रा का समय-
राहुकाल- 10:36 ए एम से 12:10 पी एम तक।
यमगण्ड- 03:20 पी एम से 04:55 पी एम तक।
गुलिक काल 07:26 ए एम से 09:01 ए एम तक।
दुर्मुहूर्त- 08:23 ए एम से 09:13 ए एम तक।
वर्ज्य- 11:51 ए एम से 01:34 पी एम तक, इसके बाद 12:36 पी एम से 01:26 पी एम तक।
भद्रा- 04:27 ए एम, अप्रैल 10 से 05:50 ए एम, अप्रैल 10 तक।
पंचक- पूरे दिन।
अप्रैल महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?
अप्रैल का दूसरा प्रदोष व्रत 24 अप्रैल को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 24 अप्रैल को है।


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