जानिए आषाढ़ के महीने का महत्व और इसमें क्या करना चाहिए

सच्चे मन से की गई पूजा से नारायण प्रसन्न होते हैं और हर मुराद पूरी करते हैं

Update: 2022-06-18 07:47 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से आषाढ़ का महीना (Ashadha Month) साल का चौथा महीना होता है, जो 15 जून से शुरू हो चुका है और 13 जुलाई पर गुरु पूर्णिमा के साथ इस माह का समापन होगा. इस महीने की पूर्णिमा तिथि के​ दिन चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के बीच रहता है, इसलिए इस माह को आषाढ़ के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए निद्रा में लीन हो जाते हैं. इस दौरान वे पृथ्वी पर कई तरह की उथल पुथल रहती है. इस अवधि में पृथ्वी की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है. कहा जाता है कि इस बीच नारायण के अन्य अवतार पृथ्वी को फिर से उपजाऊ बनाते हैं. कहा जाता है कि आषाढ़ के महीने में नारायण की पूजा करनी चाहिए. सच्चे मन से की गई पूजा से नारायण प्रसन्न होते हैं और हर मुराद पूरी करते हैं. यहां जानें आषाढ़ माह का महत्व.

किसानों के लिए महत्वपूर्ण है ये महीना
आषाढ़ का महीना किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस माह में वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है. नारायण की पूजा करके लोग उन्हें मनाते हैं कि वर्षा सही मात्रा में हो और उनकी फसल की पैदावार बेहतर हो. आषाढ़ के महीने में देव शयन के बाद संसार के संचालन का जिम्मा भगवान शिव पर आ जाता है. इसके बाद सावन का महीना शुरू होता है और हर जगह बम भोले की गूंज होती है.
भगवान विष्णु को प्रिय है ये महीना
भगवान विष्णु पर संसार के पालन का जिम्मा है, लेकिन आषाढ़ वो माह है, जब वो अपनी थकान को कम करने के लिए विश्राम के लिए जाते हैं. इस कारण ये महीना नारायण को अति प्रिय है. इस माह में भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए. आप अधिक से अधिक विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. कहा जाता है कि इस माह में अगर सच्चे मन से नारायण की पूजा की जाए तो आपकी कामना वो जरूर पूरी करते हैं.
दान पुण्य का विशेष महत्व
वैसे तो दान पुण्य कभी भी किया जा सकता है, इसे पुण्यदायी ही माना गया है. लेकिन आषाढ़ के महीने में दान पुण्य करने से कई गुणा फल प्राप्त होता है, साथ ही जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं. आषाढ़ माह में खड़ाऊं, छाता, नमक, तांबा, कांसा, आंवला, मिट्टी का पात्र, गेहूं, गुड़, चावल, तिल आदि का दान करना काफी शुभ माना गया है.
देवशयनी एकादशी पर सोने चलते जाते हैं नारायण
आषाढ़ के महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से नारायण चार माह के लिए विश्राम के लिए चले जाते हैं. इस कारण से इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. इसके बाद वे कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागते हैं. कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इन चार महीनों के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं होते. लेकिन पूजा और दान के लिहाज से इन दिनों को शुभ माना जाता है.
पितृ कर्म के लिए पुण्यदायी है आषाढ़ अमावस्या
आषाढ़ अमावस्या को पितरों के निमित्त किसी भी कर्म के लिए काफी पुण्यदायी माना जाता है. आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान, दान-पुण्य, के अलावा पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए और उनके नाम से दान करना चाहिए.
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