Akshaya Navami ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन अक्षय नवमी को खास माना गया है। पंचांग के अनुसार अक्षय नवमी का पावन पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना का विधान होता है साथ ही इस दिन आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है।
मान्यता है कि अक्षय नवमी की पूजा करने से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है और दांपत्य जीवन की परेशानियां दूर हो जाती है साथ ही अगर किसी के विवाह में कोई बाधा आ रही है तो वह भी दूर हो जाती है और शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं। इस साल अक्षय नवमी का पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा पाठ के दौरान अगर भगवान की प्रिय आरती की जाए तो वे प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं और साधक की मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान विष्णु की आरती।
अक्षय नवमी की तारीख और शुभ मुहूर्त—
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 9 नवंबर दिन शनिवार को रात 10 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 10 नवंबर दिन रविवार को रात 9 बजकर 1 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार अक्षय नवमी का पर्व इस साल 10 नवंबर को मनाया जाएगा।
भगवान विष्णु की आरती—
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे...
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे...
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे...
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे...
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे...
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे...
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे...