26 मई को मनाई जाएगी बुद्ध पूर्णिमा, जानिए शुभ मुहूर्त एवं इतिहास

पौराणिक मान्यता के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध (Lord Gautam Buddha) के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

Update: 2021-05-24 04:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पौराणिक मान्यता के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध (Lord Gautam Buddha) के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक बुद्ध पूर्णिमा का पर्व प्रत्येक वर्ष वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) के दिन होता है. इस साल 2021 में बुद्ध पूर्णिमा तिथि 26 मई , बुधवार के दिन है. बौद्ध धर्मावलंबियों और हिंदू धर्म को मानने वाले ऐसी मान्यता रखते हैं, कि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था. यही कारण है, कि इस तिथि को इतिहास के पन्नों में और आस्था की नजर से बेहद महत्वपूर्ण तिथि माना गया है. यह पर्व न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में बौद्ध धर्मावलंबियों के बीच बड़ी श्रद्धा और आस्था पूर्वक मनाया जाता है.

बुद्ध पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा तिथि- 26 मई 2021 (बुधवार)
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 25 मई 2021 को रात 8 बजकर 29 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 26 मई 2021 को शाम 4 बजकर 43 मिनट तक
बुद्ध पूर्णिमा क्यों है खास
बुद्ध पूर्णिमा न केवल बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए, बल्कि हिंदू धर्मावलंबियों के लिए भी बेहद खास मायने रखती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं. इसी वजह से सनातन धर्म के लोगों के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा बेहद पवित्र मानी जाती है.
जानें बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी सैकड़ों सालों से बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है. बुद्ध पूर्णिमा को 20वीं सदी से पहले आधिकारिक बौद्ध अवकाश का दर्ज़ा प्राप्त नहीं था. सन् 1950 में बौद्ध धर्म की चर्चा करने के लिए श्रीलंका में विश्व बौद्ध सभा का आयोजन किया गया जिसके बाद इस सभा में बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक अवकाश बनाने का फैसला हुआ. बुद्ध पूर्णिमा पर्व भगवान बुद्ध के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाता है.
भारत में बौद्ध मानवता और मनोरंजन की अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है.
-सूर्योदय से पहले समारोह
बुद्ध पूर्णिमा मनाने का सबसे सामान्य तरीका है, कि सूर्योदय होने से पहले पूजा स्थल पर इकट्ठा होकर प्रार्थना और नृत्य किया जाता है. कुछ जगह पर परेड और शारीरिक व्यायाम करके भी बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है.
-मंदिरों में बौद्ध झंडा फहराना
बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद मंदिर और धार्मिक स्थलों पर बौद्ध झंडा फहराया जाता है. आपको बता दें, की आधुनिक बौद्ध झंडे का आविष्कार श्रीलंका ने किया है. यह नीले, लाल, सफ़ेद, पीले और नारंगी रंग का होता है. नीला रंग प्रेम और सम्मान दर्शाता है. लाल रंग आशीर्वाद का प्रतीक माना गया है, और सफ़ेद रंग धर्म की शुद्धता दर्शाता है. नारंगी रंग को बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना गया है और सबसे अंत में पीले रंग को कठिन स्थितियों से बचने का प्रतीक माना है.
-दान-पुण्य करना
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर दान देने का भी विशेष महत्व है. कई बौद्ध मंदिर इस उत्सव का आयोजन लोगों को मुफ्त सुविधा प्रदान करके मनाते हैं
-पिंजरे में कैद पक्षियों वा जानवरों को आजाद करना
बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव कुछ लोग पिंजरे में बंद पक्षियों और अन्य जानवरों को आजाद करके भी मनाते हैं. यह प्रथा देश-विदेश में लोगों को बंदी बनाने के नैतिक मामले को भी उजागर करती है


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