अशून्य शयन व्रत : पत्नी की लंबी उम्र के लिए इस दिन पति रखते हैं व्रत, जानें पूजा विधि, व महत्व

हिंदी पंचांग के अनुसार, आज पितृ पक्ष की द्वितीया श्राद्ध है और आज अशून्य शयन द्वितीया व्रत भी है.

Update: 2021-09-22 04:52 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदी पंचांग के अनुसार, आज पितृ पक्ष की द्वितीया श्राद्ध है और आज अशून्य शयन द्वितीया व्रत भी है. पंचांग के अनुसार, अशून्य शयन द्वितीया व्रत की पूजा 5 महीने - सावन, भादों, आश्विन, कार्तिक और अगहन में की जाती है. यह व्रत इन 5 पांच महीनों में कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को रखा जाता है. आज आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है. अशून्य शयन व्रत में भगवान विष्णु के साथ देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

अशून्य शयन द्वितीया व्रत मुहूर्त
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि का प्रारंभ 22 सितंबर 2021 को सुबह 05:52 AM पर हुआ है, जो कि 23 सितंबर 2021 को सुबह 06:54 AM तक है. ऐसे में अशून्य शयन द्वितीया व्रत आज 22 सितंबर को रखा गया है. आज का राहुकाल पूर्वाहन 11:53 बजे से अपराह्न 13:24 बजे तक है.
अशून्य शयन व्रत का महत्व: धार्मिक अम्न्यता है कि इस व्रत को करने से पत्नी दीर्घायु होती है. दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है तथा दांपत्य जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं. जीवन साथ का सहयोग हमेशा बना रहता है. वैवाहिक जीवन से नकारात्मकता दूर होती है. पति और पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है.
पूजा विधि:
व्रत के दिन स्नान आदि करके साफ़ कपड़ा पहन लें उसके बाद पूजा स्थल पर जाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें. इस दौरान इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें.
मंत्र: लक्ष्म्या न शून्यं वरद यथा ते शयनं सदा। शय्या ममाप्यशून्यास्तु तथात्र मधुसदन।।
अंत में आरती करते हुए पूजा समाप्त करें. शाम को चंद्रोदय के समय पर चंद्रमा को दही, फल तथा अक्षत् से अर्घ्य दें. उसके पश्चात ही व्रत का पारण करें. अगले दिन जरूरत मंद ब्राह्मण को भोजन कराएं, दक्षिणा दें तथा कोई मीठा फल दान कर दें. ऐसा करने से आपके दांपत्य जीवन में प्रेम और माधुर्य बना रहेगा.


Tags:    

Similar News

-->