Hal Shashti Vrat के दिन ऐसे करें पूजा, संतान का मिलेगा वरदान

Update: 2024-08-24 10:15 GMT
Hal Shashti Vrat ज्योतिष न्यूज़: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन हलषष्ठी व्रत को बेहद ही खास माना जाता है। इसे हरछठ, बलदेव छठ, रंधन छठ, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ आदि कई नामों से जाना जाता है। जो कि कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पहले मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था।
 इस दिन इस दिन बलराम जी की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार जो महिलाएं इस दिन सच्चे मन से पूजा पाठ और व्रत करती है उनकी संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है साथ ही जीवन भी खुशहाल बना रहता है इस साल हलषष्ठी का व्रत आज यानी 24 अगस्त दिन शनिवार को किया जा रहा है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पूजा की सही विधि से अवगत करा रहे हैं तो आइए जानते हैं संपूर्ण पूजा विधि।
 हलषष्ठी पूजा की विधि—
आपको बता दें कि हलषष्ठी के दिन सुबह उठकर महुए की दातून से दांत को साफ करें। इसके बाद स्नान करके साफ वस्त्रों को धारण करें और व्रत का संकल्प करें। अब पूजा घर में भैंस के गोबर से ​दीवार पर छठ माता का चित्र बना लें। घर में तैयार ऐपण से इन सभी की पूजा की जाती है। फिर चौकी पर एक कलश रखें इसके बाद भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर एक मिट्टी के कुल्हड़ में ज्वार की धानी और महुआ भरें।
 इसके बाद एक मटकी में देवली छेवली रखें। फिर हलछठ माता की पूजा करें। इसके बाद कुल्हड़ और मटकी की विधि विधान से पूजा करें। अब सात तरह के अनाज अर्पित करें। इसके बाद धुल के साथ भुने हुए चने अर्पित करें ​आभूषण व हल्दी से रंगा हुआ वस्त्र भी अर्पित करें अब भैंस के दूध से बने मक्खन से हवन करें। छठ की कथा का पाठ कर माता पार्वती की आरती करें। पूजा स्थान पर ही बैठकर महुए के पत्ते पर मुए का फल और भैंस के दूध से निर्मित दही का सेवन करें। इस दिन बिना हल से जुते हुए खाद्य पदार्थ का ही सेवन करना चाहिए।
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