स्कूलों में समलैंगिक संबंधों वाली फिल्में दिखाने पर मचा बवाल, CBFC और UNICEF को नोटिस जारी
पश्चिम बंगाल के स्कूलों में समलैंगिक संबंधों वाली फिल्में दिखाए जाने का मामला सामने आने के बाद बवाल मच गया है।
पश्चिम बंगाल के स्कूलों में समलैंगिक संबंधों वाली फिल्में दिखाए जाने का मामला सामने आने के बाद बवाल मच गया है। इस बारे में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने संज्ञान लेते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) को नोटिस जारी किया है। CBFC के अध्यक्ष प्रसून जोशी को चिट्ठी लिखकर पूछा गया है कि NCPCR को शिकायत मिली है कि समावेश को लेकर जागरूक करने के लिए पश्चिम बंगाल में स्कूल खुलने के बाद समलैंगिक संबंधों पर 8 शॉर्ट फिल्में दिखाई जाएंगी। CBFC कृपया 10 दिनों के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दें कि क्या चयनित फिल्मों ने राज्य में स्क्रीनिंग के लिए प्रमाणन प्राप्त किया है या नहीं। अगर, हां तो चयनित फिल्मों को किस श्रेणी का प्रमाणन प्रदान किया गया है।
जानिए क्या है पूरा मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, युवा फिल्म निर्माताओं द्वारा समलैंगिक संबंधों पर बनाई गई आठ लघु फिल्मों को प्रयासम के 'बैड एंड ब्यूटीफुल वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल' के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है। योजना के मुताबिक पश्चिम बंगाल में शैक्षणिक संस्थानों के फिर से खुलने के बाद कई स्कूलों में ये फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा कि उसे रिपोर्ट पर शिकायत मिली है और राज्य से 10 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है।
फिल्म बनाने वालों के बारे में कहा जा रहा है कि यह संगठन एक ऐसा माहौल बनाने का दावा करता है जिसमें युवा सशक्त महसूस करें। जिन लोगों ने ये फिल्में बनाई हैं, वे हैं- सलीम शेख, मनीष चौधरी, सप्तर्षि रॉय और अविजीत मरजीत। ये सभी नजरूल पल्ली के महिषाबाथन स्थित डाकिदारी में रहते हैं। यह इलाका राजधानी कोलकाता में ही स्थित है। ये सभी प्रयास विजुअल बेसिक्स एशिया के बेसिक फिल्म स्टूडियो के छात्र हैं, जो एडोब नामक कंपनी द्वारा समर्थित है। उनका कहना है कि इन लघु फिल्मों को बच्चों को दिखाकर 'समावेशी शिक्षा' को बढ़ावा देना है। 'प्रयासम' के निर्देशक प्रशांत रॉय ने कहा कि ये लघु फिल्में खुलते ही स्कूलों में बच्चों को दिखाई जाएंगी।