लखनऊ: झोपड़पट्टी और मलिन बस्तियों से निकालकर सरकार ने बड़ी संख्या में लोगों को रहने के लिए मुफ्त में मकान दिए. जीवन स्तर सुधारने के लिए सरकार की यह कोशिश खुद झोपड़पट्टी में रहने वालों ने ही नाकाम कर दी. सरकार से मिला मकान इन लोगों ने किराए पर दे दिया और खुद फिर से परिवार सहित झोपड़पट्टी में आशियाना बना लिया है. नगर निगम तथा डूडा की ओर से कराए गए सर्वे में इसका खुलासा हुआ है.
डूडा और नगर निगम की ओर से कराए गए इस सर्वे में सामने आए तथ्यों ने अफसरों को चौंका दिया है. फिलहाल चार मलिनबस्तियों व झुग्गी झोपड़ियों वाले इलाकों की सर्वे रिपोर्ट आई है. फिलहाल भीखमपुर, महानगर, पेपर मिल कॉलोनी और अकबरनगर का सर्वे कराया गया है. इनमें रहने वालों में से लगभग 80 के पास कांशीराम शहरी आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास और अन्य योजना के मकान हैं.
● चार मलिनबस्तियों के अब तक कराए गए सर्वे में हुआ है चौंकाने वाला खुलासा
एलडीए को भी भेजी रिपोर्ट
लोगों को चौंकाने वाली यह रिपोर्ट एलडीए को भी भेजी गई है. एलडीए के एक अधिकारी ने बताया कि यह सच है कि कांशीराम योजना में आवास पाने वाले 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने मकान किराए पर दे दिए हैं. मकान पाने वालों की जगह उनमें दूसरे लोग रह रहे हैं. इन लोगों को वर्ष 2008 से 2012 के बीच कांशीराम आवासीय योजना में मुफ्त में मकान दिया गया था. अब एक बार फिर से इन्हें झोपड़पट्टी से हटाकर उनके मकानों में भेजने की कवायद की जा रही है.
सरकार की जीवन स्तर में सुधार की कोशिश नाकाम
लोगों को मकान इसलिए दिया गया था ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके. उनके बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य झोपड़ी से निकलकर अच्छे माहौल में रह और पल-बढ़ सकें. असलियत यह है कि अपना मकान पाने के बावजूद ये लोग फिर से झोपड़ी में ही आ गए हैं. ये लोग कहीं नाले के किनारे झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं तो कहीं पार्क और अन्य खाली स्थानों पर अवैध कब्जा जमाए हुए हैं.