तप से आत्मा को संसार के बंधनों से मुक्त करने का मार्ग प्रशस्त होता है: Mahasati Gyan Kanwar
Bhilwara भीलवाड़ा। शास्त्रीनगर स्थित अहिंसा भवन में पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिवस बुधवार को महासती ज्ञानकंवर ने धर्मसभा में प्रवचन करते हुए श्रद्धालुओं से कहा कि तप जीवन का श्रंगार और मोक्ष प्राप्ति का द्वार है। तपस्वी जीवन का महत्व जीवन को शुद्ध, निर्मल, और सत्य की ओर उन्मुख करना है। जब हम तप करते हैं, तो आत्मा को संसार के बंधनों से मुक्त करने का मार्ग प्रशस्त होता है। साध्वी ऐष्वर्य प्रभा ने कहा कि तप वह साधना है जो हमें हमारे भीतर की शक्तियों का एहसास कराती है। यह हमारे आंतरिक विकारों को मिटाकर शुद्धि की दिशा में अग्रसर करता है।
जीवन में तप का महत्व केवल आत्मिक उन्नति तक सीमित नहीं है, यह हमें सांसारिक मोह-माया से मुक्त कर मोक्ष का मार्ग दिखाता है। साध्वी ज्योति प्रभा ने अंतकृतदशा सूत्र का वाचन किया। कई बहनों और भाइयों ने तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। जिनका अहिंसा भवन के मुख्य मार्गदर्शक अशोक पोखरना, संरक्षक मीठ्ठालाल सिंघवी, हेमंत आंचलिया, अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह बाबेल, नवरतनमल बंब, मंत्री दिनेश बंब ने बहुमान किया। इस अवसर पर भगवान महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक उत्सव चंदनबाला महिला मंडल ने मनाया। जिसमें 16 सतियों और 14 सपनों के मंचन से प्रभु महावीर का जन्म दिखाया। महिला मंडल की अध्यक्षा नीता बाबेल ने बताया कि महावीर स्वामी-अयांश, सिद्धार्थ-वंदना लोढ़ा, त्रिशला-अंतिमा सांड बनी। संरक्षिका मंजू पोखरना, मंत्री रजनी सिंघवी, उमा आंचलिया, वनिता बाबेल, अन्नू बाफना, मंजू बापना, सरोज मेहता, कांता छाजेड़, निशा बापना, कोमल सालेचा, लाड पीपाड़ा आदि का सहयोग रहा। संचालन स्मिता पीपाड़ा ने किया।