गर्मियों में त्वचा की नमी क्यों खो जाती है

Update: 2023-04-26 16:23 GMT
क्यों बदलती है गर्मियों में त्वचा की रंगत
सूरज के सीधे प्रभाव में आने से त्वचा में मेलेनिन की मात्रा बढ़ जाती है, जो कि रंगत को प्रभावित करती है. मेलेनिन असल में सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वायलेट रेज़ से त्वचा की रक्षा करता है. यह त्वचा के निचले हिस्सों में बनने के बाद त्वचा की ऊपरी सतह तक पहुंचती है तो त्वचा की रंगत काली पड़ जाती है. मेलेनिन का हमारे बाल और त्वचा पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है. हमारे बालों के लिए इस्तेमाल हो रहे मेलेनिन को धूप नष्ट कर देती है. यही कारण है कि जड़ों से निकल रहे बाल सेहतमंद नज़र आते हैं, लेकिन बालों के अंतिम सिरे तक आते-आते बालों का रंग बदल जाता है. तेज़ धूप के अत्यधिक संपर्क में आने से ऐसा होता है. इसी तरह त्वचा पर भी मेलेनिन का प्रभाव देखने को मिलता है. सूरज की रौशनी का प्रभाव त्वचा पर भिन्न होता है. सूरज की अल्ट्रा वायलेट रेज़ त्वचा से संबंधित मेलेनिन को नष्ट करती है. नतीजा, त्वचा अधिक मेलेनिन विकसित करती है. मेलेनिन को अगर त्वचा का सुरक्षा कवच कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा. जो लोग धूप में ज़्यादा रहते हैं, उनके डीएनए को क्षति पहुंचने का ख़तरा बना रहता है, साथ ही यह कैंसर का कारण भी बन सकता है. ऐसे में मेलेनिन सुरक्षा कवच की तरह सामने आ खड़ा होता है और कैंसर कारक वजहों से निपटता है. साथ ही इस मौसम में खान-पान पर ध्यान नहीं देने से भी त्वचा की रंगत पर बेहद असर पड़ता है.
धूप से चेहरा क्यों होता है प्रभावित?
त्वचा पर धूप पड़ने से दो तरह का प्रभाव दिखाई देता है. एक जो तुरंत असर दिखाता है और दूसरा जो धीरे-धीरे असर दिखाता है. तुरंत असर दिखाने का मतलब यह है कि सूरज के संपर्क में आने से त्वचा झट से अपना रंग बदल लेती है. ऐसा ज़्यादातर उन लोगों में दिखाई देता है, जो गोरे होते हैं. हालांकि उनकी त्वचा काली नहीं होती, लेकिन जिनकी रंगत सांवली होती है, उनकी त्वचा काली पड़ जाती है. एक अन्य प्रक्रिया है, जिसे अंग्रेजी में डिलेड टैनिंग कहा जाता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह हमारी त्वचा पर धीरे-धीरे सक्रिय होती है. इसके तहत त्वचा ज़्यादा मेलेनिन रंग बनाती है. जितना ज़्यादा मेलेनिन बनता है, त्वचा का रंग उतना ही बदलता चला जाता है. यह क्रिया होने में समय लगता है. बार-बार तेज़ धूप में ना जाकर इसे रोका जा सकता है. लेकिन आपको बता दें कि धूप मेलेनिन को नहीं त्वचा को प्रभावित करती है. त्वचा की सुरक्षा हेतु मेलेनिन सुरक्षा कवच की तरह सामने आ खड़ा होता है. इसी प्रक्रिया के तहत शरीर से कुछ रासायनिक तत्व निकलते हैं जो कि शरीर को अलर्ट करते हैं कि धूप त्वचा को प्रभावित कर रही है. अतः यह जरूरी है कि हम जितना हो सके कम धूप में जाएं.
यह भी पढ़ेंः सनबर्न ठीक करने के घरेलू नुस्ख़े
पहले ही ज़िक्र किया जा चुका है कि धूप का बाल और त्वचा पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है. त्वचा पर पड़ रहे प्रभाव का बालों के साथ कोई मेल नहीं है. लेकिन यह तय है कि धूप बालों को भी नुक़सान पहुंचाती है. आप इस बात से अवगत होंगी कि धूप का असर प्लास्टिक पर कैसा पड़ता है. सूरज की तेज़ किरणों से प्लास्टिक पिघल जाता है, रंग फीका पड़ जाता और अंततः वह पूरी तरह ख़राब हो जाता है. इसी तरह इसका असर बालों पर भी होता है. वह बालों को हल्का कर देता है, जिससे बाल रूखे हो जाते हैं और झड़ने लगते हैं. इस सीज़न में सूरज की किरणों से त्वचा के बचाव के लिए सनस्क्रीन प्रभावी माना जाता है. यदि आप चाहती हैं कि इस मौसम में भी आपकी त्वचा की नमी, ताज़गी और रौनक बरक़रार रहे, तो उसके लिए आप बस कुछ हल्के-फ़ुल्के टिप्स आज़माएं. खास कर अपने खानपान पर यदि विशेष ध्यान दें तो आसानी से गर्मी को हरा कर अपनी ख़ूबसूरत त्वचा को और भी ख़ूबसूरत बना सकती हैं.
Healthy bowlसेहतमंद त्वचा के लिए क्या खाएं
स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, केले और सेब में विटामिन बी, डी और ई काफ़ी मात्रा में पाया जाता है. ये हमारी त्‍वचा को ज़रूरी पोषण प्रदान करते हैं, जिससे उसमें कसाव बना रहता है. त्‍वचा में कसाव रहने का फ़ायदा यह होता है कि आपकी उम्र कम लगती है.
फ़ाइबर युक्‍त फल जैसे ऐवोकाडो, अमरूद, खूबानी, अंजीर, खजूर और करौंदे पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करते हैं. गेहूं, फ़्लैक्स सीड्स और नट्स हृदय संबंधी रोग, कैंसर, डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से बचाता है.
फ़ाइबर युक्‍त फलों में कम मात्रा में कैलोरीज़ भी पाई जाती हैं. गहरे रंग के फल जैसे क्रैनबेरीज़, खरबूजे, केले, प्लम और अंगूर में विटामिन और ऐंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो कोलेजन को टूटने से बचाते हैं और आपकी त्वचा को ख़ूबसूरत निखार देते हैं. साथ ही आपकी बालों की मज़बूती भी बरक़रार रहती है.
Tags:    

Similar News

-->