दक्षिण भारत में शादी से पहले ही क्यों रखा जाता है रिसेप्शन
पहले ही क्यों रखा जाता है रिसेप्शन
विवाह एक ऐसी प्राचीन परंपरा है जिसे भारत में किसी त्यौहार से कम नहीं माना जाता है। भारतीय सभ्यता में कई प्रान्तों और धर्मों का समागम है। इसी के आधार पर विवाह से जुड़े कई अलग-अलग और खूबसूरत रीति-रिवाज भी हैं।
यूं तो कहावत है कि भारत में हर 20 किलोमीटर की दूरी पर भाषा और संस्कृति बदल जाती है लेकिन इस कहावत में अगर शादी से जुड़ी परंपराओं को जोड़ा जाए तो यह गलत नहीं होगा। अब दक्षिण भारत में निभाई जाने वाले रिवाजों को ही ले लीजिए। सब बहुत अनूठे हैं।
दक्षिण भारत का ऐसा ही एक रिवाज है रिसेप्शन से जुड़ा। जहां एक ओर भारत के अन्य हिस्सों में रिसेप्शन हमेशा शादी के बाद रखा जाता है तो वहीं, दक्षिण भारत में रिसेप्शन के शादी से पहले रखे जाने का विधान है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं।
क्यों रखा जाता है दक्षिण भारत में शादी से पहले रिसेप्शन?
दक्षिण भारत में एक परंपरा है जो विवाह के दौरान निभाई जाती है। इस परंपरा का नामा है 'वरपूजा'। वरपूजा एक विशेष रिवाज है जिसमें दूल्हे और उसके साथियों का शादी से पहले स्वागत किया जाता है। इस रिवाज के अनुसार, दुल्हन (शादी में क्यों बांधी जाती है हल्दी की गांठ) के घर वाले दूल्हे की पूजा करते हैं।
साथ ही, पहले से पंसद किये गए उपहारों को इस परंपरा के दौरान दूल्हे को दिया जाता है और दुल्हे (सुहागरात पर दुल्हन क्यों ले जाती है दुल्हे के लिए दूध) के परिवार की ओर से लिया भी जाता है। सरल शब्दों में कहीं तो यह एक तरह का उपहारों का आदान-प्रदान है। ठीक वैसे ही जैसे शादी के बाद रिसेप्शन के दौरान होता है।
वरपूजा में दोनों पक्षों के करीबी रिश्तेदारों का परिचय भी कराया जाता है। यह रिवाज शादी से एक शाम पहले शुरू होता है और शादी खत्म होने तक चलता है। इस रिवाज के दौरान ही दूल्हा-दुल्हन सबसे मिल लेते हैं। असल में यह रिसेप्शन जैसी ही रीत है मगर उससे भिन्न।