अनूठा स्वाद, बल्लीमारान में 'जैन नमकीन कॉर्नर

Update: 2022-07-23 08:53 GMT

भारत में जरूरी नहीं है कि आप खाने के तौर पर सुबह, दोपहर या रात को ही भोजन करें. हमारी जुबान हमेशा से 'चटोरी' रही है, इसलिए यहां बीच-बीच में खानपान के विकल्प मौजूद हैं. इनमें सबसे ज्यादा चलन नमकीन का रहा है. घर पर हैं तो डिब्बों में विभिन्न प्रकार के नमकीन भरें होंगे और अगर ऑफिस में हैं तो भी अधिकतर लोगों का प्रयास होता है कि दराज (Drawer) में एकाध खूबसूरत डिब्बे में नमकीन होने चाहिए ताकि सहयोगी का 'मुंह नमकीन' किया जाए. नमकीन की बढ़ती खपत का ही यह असर हुआ है कि दिल्ली-एनसीआर में 'स्पेशली फॉर नमकीन' के आउटलेट या बड़ी दुकानें खुलने लगी हैं. जहां नमकीन की ढेरों वैरायटी और स्वाद स्वागत करते नजर आते हैं. आज हम आपको पुरानी दिल्ली के ऐसे ही आउटलेट पर लेकर चल रहे हैं, जो सालों से नमकीन बनाकर बेच रहे हैं. यह दुकान जहां पर है, वह इलाका ही अपने में 'स्वाद' समेटे हुए है.

नमकीनों में भरा है पुरानी दिल्ली का स्वाद

इस दुकान का नाम है 'जैन नमकीन कॉर्नर' और यह ठेठ बल्लीमारान इलाके में है. यह वही इलाका है, जहां देश के मशहूर शायर मिर्जा ग़ालिब रहा करते थे. मिर्जा गालिब का घर गली कासिम जान में और यह दुकान इस गली से आगे थोड़ी दूर पर ही छोटी बारादरी (गली) के मुहाने पर है. इस दुकान पर इतनी वैरायटीज़ और स्वाद का भंडार है कि हम कह सकते हैं कि अगर यह दुकान मिर्जा ग़ालिब के वक्त में चल रही होती तो मिर्जा साहब अपनी शाम को रंगीन करने के लिए इस दुकान का नमकीन जरूर चखते.

मिर्जा साहब ने न चखा तो कोई बात नहीं, इलाके के लोग इस दुकान के मुरीद हैं और वे यहां आते-जाते रहते हैं. उसका कारण यह है कि यहां पर पुरानी दिल्ली के स्वाद से भरे नमकीन हैं. खाते ही आपको लग जाएगा कि इनका स्वाद गुजराती नमकीन से जुदा है. उसकी वजह यह है कि यहां सालों से खुद ही नमकीन तैयार किया जा रहा है और उसमें तजुर्बे का स्वाद उंडेला जा रहा है.

सबसे पहले तो आप यहां की मसाले वाली या दाल वाली कचौड़ी खा लीजिए, दिल बाग-बाग हो जाएगा. दाल वाली कचौड़ी का आलम यह है कि मीठी ईद के तीन दिन पहले ही यहां भट्टी पर बहुत बड़ा कड़ाह चढ़ा दिया जाता है और उसमें हर वक्त कचौड़ियां तलती रहती हैं. कड़ाह से उतरते ही कचौड़ी बिक जाती है. इनको लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. उनका कहना है कि जैन साहब की कचौड़ियों का स्वाद ही जुदा है. इस दुकान पर करीब 40 तरह के नमकीन बेचे जा रहे हैं. इनमें कई स्वाद की भुजिया, कई दाल का नमकीन, लच्छा, लाल मिर्च से भरी आलू की चिप्स, कई प्रकार के वैफर्स शामिल हैं. सबका स्वाद एकदम अलग और जानदार. मसाले वाले भी हैं तो हल्के चटपटे या खट्टे-मीठे भी. खाइए और पैक करवाकर घर ले जाइए और चाय के साथ मजा फरमाएं.

इस दुकान पर कुछ गुजराती नमकीन के भी आइटम हैं. इनका स्वाद देसी नमकीन से बिल्कुल अलग है. यह बनाने वाले कारीगरों की कलाकारी है कि वे उनमें अलग-अलग स्वाद भर देते हैं. दुकान पर करीब 20 तरह के बेकरी के आइटम भी मिलते हैं, इनमें अधिकतर बिस्कुट (कुकीज) शामिल हैं. इनमें जीरा, कोकोनेट, जैम, बादाम, मिक्स ड्राईफूट्स आदि शामिल हैं. इनका स्वाद भी बेहतरीन है.

नमकीन और बेकरी की कीमत भी बहुत अधिक नहीं है. 200 ग्राम का पैकेट 45 रुपये से 60 रुपये के बीच है तो 400 ग्राम का पैकेट 90 से 120 रुपये तक. खुले में भी मिलते है, जितना चाहे, उतना पैक करवा सकते हैं. सर्दी आते ही इस दुकान की रौनक और बढ़ जाती है. उस दौरान गजक, रेवड़ी, मूंगफली पट्टी भी मिलने लगती हैं एकदम ताजी और स्वाद से भरी हुई.

इस दुकान को वर्ष 1950 में लाला सुरेश चंद जैन ने शुरू किया था. शुरू में उन्होंने कचौड़ी, नमकपारे आदि ही बेचे. जब दुकान की जिम्मेदारी बेटे विनोद कुमार ने संभाली तो ज्यादा नमकीन बननी और बिकनी शुरू हो गई. आज इस दुकान को उनके बेटे विकल्प व आशीष भी संभाल रहे हैं. उनका कहना है कि जैसे इस काम में हमारी तीसरी पीढ़ी है, इसी तरह नमकीन बनाने वाले हमारे कारीगर भी पीढ़ी-दर पीढ़ी चले आ रहे हैं. बिस्कुट हम कंपनियों के बेचते हैं बाकी नमकीन खुद ही तैयार करते हैं. इन्हें बनाने के लिए मूंगफली व सोयाबीन ऑयल इस्तेमाल किया जाता है. सारा सामान ताजा बनता रहता है और बिकता रहता है. इलाके के कई परिवार सालों से हमारा नमकीन ही चख रहे हैं. सुबह 8 बजे दुकान खुल जाती है और रात 10 बजे तक काम चलता रहता है, कोई अवकाश नहीं है.

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