एक बार जरूर करें ट्राई 'तंदूरी पराठे', जानिए रेसिपी
पराठे तो हम सबके घरों में बनते ही हैं. सभी घर में अलग अंदाज में लेकिन स्वादिष्ट पराठे बनते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेसक | पराठे तो हम सबके घरों में बनते ही हैं. सभी घर में अलग अंदाज में लेकिन स्वादिष्ट पराठे (Paratha) बनते हैं. तो अब आप कहेंगे कि मैं पराठे के बारे में क्यों बात करने जा रहा हूं जब सब जानते ही हैं. तो एक बात मैं पहले बता दूं कि पराठा बहुत नए पकवानों में से एक है जो पंजाब होते हुए पहले भारत में और फिर साउथ इस्ट एशिया में फैल गया. पराठे के कई रूप होते हैं और उसी में से एक 'तंदूरी पराठे' की चर्चा मैं आपसे करना जा रहा हूं.
इसके साथ ही शहर की भीड़भाड़ से दूर एक ऐसे पराठा जंक्शन के बारे भी चर्चा होगी जो नोएडा और ग्रेटर नोएडा के साथ गाजियाबाद में रहने वालों के लिए वीकेंड का अच्छा अड्डा बन सकता है. जी मैं बात कर रहा हूं नोएडा वेस्ट और ग्रेटर नोएडा के बीच स्थित तिलपता चौक की. गौर सिटी चौक से सीधी सड़क पर चलते जाने के बाद दादरी से पहले तिलपता चौक पड़ता है. यहीं पर है तिलपता पराठे वाले.
अगर आप देसी तंदूरी पराठों के शौकीन हैं और अक्सर मूरथल के चक्कर लगाते रहते हैं तो आपके लिए नया अड्डा बन सकता है तिलपता चौक. यहां के संचालक का कहना है कि ताजा स्टफिंग तैयार करके बिल्कुल देसी मक्खन के साथ यहां पराठे परोसे जाते हैं. उन्होंने बताया कि भले ही यह दूर है लेकिन आए दिन कोई न कोई कार्पोरेट टीम और अलग-अलग फैमिलीज यहां आती हैं.
बहरहाल हम बात करते हैं पराठे के इतिहास की. तो परतों में बनने वाले आटे को पराठा नाम दिया गया. घरों में मशहूर पराठे 19वीं सदी में ही सबसे पहले पंजाब से देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचे. तंदूरी रोटी और नान तो मुगल ला ही चुके थे लेकिन सामान्य घरों में बनने वाली रोटी को बदल कर इस नए पराठे का स्वरूप दिया गया. तंदूरी रोटी की तर्ज पर तंदूरी पराठे भी बनने लगे.
हमारे देश में इसे कई नाम से जाना जाता है लेकिन ज्यादातर नाम पराठा के आसपास ही है. जैसे पूर्वी राज्यों में इसे पोरोटा (Porota) कहते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि हमारे घर-घर में बनने वाले इस पराठे को मॉरिशस में क्या कहते हैं ? जी इसे वहां 'फराटा' कहते हैं. पूरे साउथ इस्ट एशिया में इसे अलग-अलग तरह से बुलाया जाता है. तो नाम जो भी हो, आप इसे घर पर खाते ही होंगे. जरा किसी दिन तंदूरी पराठे का स्वाद भी चखिए, यकीन मानिए स्वाद का खजाना है ... खाते ही जाना है ...