मुख कैंसर का सबसे बड़ा कारण बन सकता है, तंबाकू कर सकता है स्वस्थ जीवन बर्बाद
सर्वेक्षण बताते हैं कि 40 फीसद में मुख के कैंसर की संभावना नजर आती है।
सर्वेक्षण बताते हैं कि 40 फीसद में मुख के कैंसर की संभावना नजर आती है। शायद इन्हीं स्थितियों को देख अदालत के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने भी अगले साल पहली अप्रैल से इस पर रोक लगाने का आदेश पारित किया है। गुटखे के खतरे और सरकार के आदेश को देखते हुए तो लोगों को इसकी आदत छोड़ ही देनी चाहिए।
ह्यूंमन पेपलोमा वायरस है जड़
ह्यूंमन पेपलोमा वायरस मुंह में कैंसर को पनपने में मदद करता है। दरअसल शरीर में कैंसर सप्रेसिव जीन होता है जो बीमारी से लड़ने की क्षमता पैदा करता है। शुरुआती लक्षण आने पर यदि व्यक्ति संभल जाए तो जीवन बच सकता है। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि इस काम में 15 से 20 साल का समय लगता है। इसमें गुटखा छोड़ कर इलाज शुरु कर दें तो व्यक्ति ठीक हो जाता है।
चेतावनी के लक्षण
मुंह के अंदर गाल और जीभ में सफेद दाने होना, गुटखा और पान मसाला खाने वाले का मुंह दांत के बीच चार सेमी से कम खुलना और मुंह का कोई भी छाला या घाव इलाज के बाद भी ठीक न होना। यह लक्षण हों तो तुरंत इलाज शुरु कर देना चाहिए।
ऐसे होती है जांच
मुंह में सफेद चकत्ता को खरोंच कर माइक्रोस्कोप से देख कर कैंसर का पता लगाया जाता है। सुई का प्रवेश कर एफएनएसी जांच और प्रभावित क्षेत्र का टुकड़ा निकाल बायोप्सी जांच।
क्यों पड़ती है आदत
तंबाकू में निकोटीन काफी मात्रा में होता है। इसे चबाने पर निकोटीन खून के माध्यम से दिमाग के एक हिस्से डोपामिन रिसेप्टर में जाता है तो दिमाग में रसायन बनते हैं जो अच्छा महसूस कराते हैं। गुटखा में कत्थे के स्थान पर मिलाए जाने वाले गैंबियर में लार बनाने की प्रवृत्ति होती है। गुटखा न चबाने पर मुंह सूखा महसूस करता है तो व्यक्ति मुंह खाली होने पर तुरंत दूसरा गुटखा दबा लेता है।
‘अमृत’ है विकल्प
जेके कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. अवधेश दीक्षित बताते हैं कई सालों के शोध के बाद ‘अमृत’ के रूप में गुटखा का विकल्प तैयार किया गया है। टमाटर में पाये जाने वाले लाइकोपिन नामक तत्व में कैंसर से होने वाले नुकसान की भरपाई करने की क्षमता होती है। ‘अमृत’ में लाइकोपिन के साथ एंटी आक्सीडेंट वाले आंवला, बेल, हल्दी आदि मिला कर इसे तैयार किया गया है। अब महिला उद्यमी सुमन तिवारी ने इसके व्यवसायिक उपयोग के लिए चौबेपुर में फैक्ट्री लगायी है।
यह जरूर करें
कैंसर से रोकथाम के लिए गुटखा पान मसाला का इस्तेमाल तुरंत छोड़ देना चाहिए। मुंह की सफाई दोनों समय ठीक से करनी चाहिए। हल्दी में कैंसर रोधी क्षमता होती है इसलिए इसका उपयोग रोज करना चाहिए। खाने में टमाटर का उपयोग करने के साथ ही मौसम में आंवला, गाजर और आम का सेवन करें क्योंकि इनमें एंटी आक्सीडेंट तत्व होते हैं। डॉ. दीक्षित इसके लिए कालेजों में जागरूकता अभियान चलाते हैं। वह लड़कियों से कहते हैं कि शादी के समय अभिभावकों से स्वास्थ्य कुंडली मिलाने का आग्रह करें जिसमें मुंह का खुलना और सफेद चकत्ते देखें जाएं।