दिवाली पर अस्थमा के मरीज ऐसे रखें अपनी सेहत का ख्याल...
रोशनी का त्योहार दिवाली अपने साथ बहुत सारी खुशियां लेकर आती है, लेकिन दमा से पीड़ित मरीजों के लिए इन दिनों परेशानिया बढ़ जाती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| रोशनी का त्योहार दिवाली अपने साथ बहुत सारी खुशियां लेकर आती है, लेकिन दमा से पीड़ित मरीजों के लिए इन दिनों परेशानिया बढ़ जाती है। एक तरफ बढ़ता पॉल्यूशन तो दूसरी तरफ पटाखों में मौजूद छोटे कण सेहत पर दोहरी मार डालते हैं, जिसका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ता है। आप जानते हैं कि धुआ और पटाखों का धुंआ फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकता है। फेफड़ों में सूजन की वजह से फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते। कई बार नौबत यहां तक पहुंच जाती है कि ऑर्गेन फेलियर और मौत तक हो सकती है।
अस्थमा के मरीजों दिवाली पर धुएं से बचने की कोशिश करें। पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा या दमा का अटैक हो सकता है। जिन लोगों को सांस की समस्याएं है, उन्हें अपने आप को पटाखों के प्रदूषण और दूषित हवा से बचा कर रखना चाहिए। आइए जानते हैं कि अस्थमा के मरीज कैसे दिवाली पर अपनी हिफाजत कर सकते हैं।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले 10 सालों में देश के बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर दोगुने से अधिक हो गया है। कई शोधों में ये बातें सामने आई हैं कि वायु में कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स और फार्मेल्डिहाइड का स्तर घातक हो गया है। ये प्रदूषक फेफड़ों के ऊतकों को उतना ही नुकसान पहुंचाते हैं, जितना धूम्रपान से निकलने वाला धुआं।
धुएं से दिवाली के दौरान हवा में पीएम बढ़ जाता है। अस्थमा के मरीज जब इस दूषित हवा में सांस लेते हैं तो उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। दमे के मरीजों को चाहिए कि वो धुएं से दूर रहें। कोशिश करें कि दिवाली के दिन घर में ही रहें।
दिवाली पर अस्थमा के मरीजों की परेशानी अक्सर घर से ही शुरू हो जाती है। घर में चल रही साफ-सफाई या फिर रंग-रोगन की वजह से अगर उन्हें दिक्कत हो रही है तो उन्हें वहां से दूर रखें। घर में भी मास्क का इस्तेमाल करें।
अस्थमा के मरीज पटाखों से उठते धुए से दूर रहें। प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल करें।
कोशिश करें कि पटाखें न जलाएं। पटाखों के जलने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी गैसें निकलती हैं जो दमा के मरीजों के लिए खतरनाक हैं।
पटाखों से निकलने वाले प्रदूषणकारी तत्व अक्सर कई दिनों तक वातावरण में मौजूद रहते हैं। इस वजह से ब्रोनकाइटिस, अस्थमा, साइनस, निमोनिया, सर्दी-खांसी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। पटाखों से निकलने वाला रसायन नाइट्रोजन आक्साइड सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाता है और इससे त्वचा, आंख व सांस की समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि प्रदूषण से खुद को महफूज रखा जाए। बाहर निकलने से बचें।
सांस की तकलीफों से पीड़ित व्यक्तियों को अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवा लेनी चाहिए।
दमा के मरीज अपना इन्हेलर अपने साथ रखें। अगर आपको सांस लेने में परेशानी हो तो तुरंत इसका इस्तेमाल करें।
दमे के मरीज इस तरह रखें खान-पान
त्योहार का दिन है तो खान-पान का भी ध्यान रखें। ऐसी मिठाईयों का इस्तेमाल करें जिसमें मिलावट की संभावनाएं नहीं हो। मावे की मिठाईयों से दूर रहें।
दिवाली के दिन भूखे पेट न रहें और ऐसी चीजों को खाएं जो शरीर को गर्म रखे।
दूध और डेयरी प्रोडक्ट न खाएं, क्योंकि ये फेफड़ों में म्युकस के निर्माण को बढ़ाते हैं जिससे अस्थमा की परेशानी और बढ़ सकती है।
शहद का सेवन करें। यह अस्थमा के रोगियों के लिए वरदान है। इसमें विटामिन बी और कई मिनरल होते हैं। यह म्युकस को पतला करता है और शरीर से बाहर निकालने में सहायक होता है।
विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थों जैसे जैतून का तेल, मूंगफली, सेब, वनस्पति तेल का सेवन करें। यह अस्थमा के उपचार में मददगार है।
विटामिन बी से भरपूर मेवों, अंकुरित अनाज और फलियों का सेवन छाती की जकड़न, खांसी और सांस लेने में तकलीफ की समस्या को दूर करता है।