लाइफस्टाइल: डायबिटीज उन क्रोनिक बीमारियों में से एक है जिसका खतरा काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। युवाओं-वृद्ध लोगों में काफी आम हो चुकी यह समस्या अब कम उम्र के लोगों को भी शिकार बना रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ज्यादातर मामलों में बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज का ही खतरा देखा जाता रहा है, पर ये टाइप-2 डायबिटीज के भी शिकार हो सकते हैं। टाइप-1 एक प्रकार का ऑटोइम्यून रोग है जिसका आनुवांशिक जोखिम हो सकता है, पर अब बच्चों में कई गड़बड़ आदतों के कारण टाइप-2 डायबिटीज का भी खतरा बढ़ता देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि कम उम्र में ही बच्चों में मधुमेह की समस्या कई अन्य जटिलताओं वाली हो सकती है। इसका सीधा असर उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी पड़ सकता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि हम अपने साथ बच्चों की भी दिनचर्या पर विशेष ध्यान दें। अध्ययनों में साल 2050 तक दुनियाभर की बड़ी आबादी में मधुमेह के खतरे को लेकर अलर्ट किया जाता रहा है। यहां पहले इन दोनों प्रकार के डायबिटीज का अंतर समझ लेना जरूरी है। टाइप-1 डायबिटीज मु्ख्यरूप से ऑटोइम्यून रोग है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की स्वस्थ अग्नाशयी कोशिकाओं पर हमला कर देती है, जिससे इंसुलिन नहीं बना पाता है। वहीं टाइप-2 डायबिटीज में इंसुलिन का या तो पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है या फिर शरीर इसका ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाती है। टाइप-2 डायबिटीज को मुख्यरूप से लाइफस्टाइल और मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी से संबंधित माना जाता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के अनुमानित 77 मिलियन लोग टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं। डॉक्टर्स ने पाया कि वैसे तो इसका खतरा वृद्ध-वयस्कों में अधिक रहा है पर अब 12-20 वर्ष की आयु के किशोरों में भी इसके मामले देखे जा रहे हैं। जिन कारणों को इसके लिए प्रमुख पाया गया है उनमें बच्चों में शारीरिक निष्क्रियता और इसके कारण मोटापे का खतरा प्रमुख रहा है। अधिक वजन किसी भी उम्र के लोगों में मधुमेह के जोखिमों को बढ़ाने वाला हो सकता है। मुंबई स्थित वरिष्ठ एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ वसीम. एम. गौहरी बताते हैं, बच्चों की गड़बड़ लाइफस्टाइल के कारण उनमें वजन बढ़ने की समस्या अधिक देखी जा रही है। ये न सिर्फ डायबिटीज बल्कि कई अन्य क्रोनिक बीमारियों के जोखिमों को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है जो टाइप-2 के लिए जोखिम कारक है। बच्चों का मोबाइल से अधिक चिपके रहना, आउटडोर खेल-कूद न होना, जंक-फास्टफूड्स का अधिक सेवन इन जोखिमों को बढ़ाने वाले कारक हैं।डायबिटीज चूंकि अपने साथ कई अन्य बीमारियां भी लेकर आती है इसलिए जरूरी है कि हम सभी लाइफस्टाइल में गड़बड़ी को सुधारें।अधिक वजन वालों में डायबिटीज का खतरा
जिन बच्चों के माता-पिता को डायबिटीज की समस्या रही है उन्हें आनुवांशिक रूप से इसका खतरा अधिक हो सकता है। ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ स्तर पूरे शरीर में समस्याएं पैदा कर सकता है। इससे रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है जिससे आंखों, किडनी और हृदय को भी खतरा रहता है। कम उम्र में बढ़ती इन समस्याओं के जोखिमों से बचाव के लिए जरूरी है कि खान-पान और दिनचर्या को ठीक रखें।अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।