घुटनों के दर्द के लक्षण और इसके उपाय
घुटनों में होने वाले दर्द आमतौर पर दो प्रकार के होते हैं.
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घुटनों की ग्रीस को, ठीक करने के लिए, स्वास्थ्य वर्धक आहार का लेना बहुत आवश्यक है। आपको इस समस्या में विटामिन और मिनिरल से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। हरी सब्जियों का सेवन, ज्यादा से ज्यादा करना शुरू कर देना चाहिए।
आप अपने भोजन में प्याज, लहसुन, ग्रीन टी, जामुन और हल्दी को भी शामिल कर सकते हैं। अखरोट का सेवन, नित्य करना चाहिए। इसके नित्य सेवन करने से प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ई, बी-6, कैल्शियम और मिनरल भरपूर मात्रा में मिल जाते हैं अगर किसी के घुटनों की , ग्रीस खत्म हो चुकी हो और उनका चलना, उठना और सीढ़ी चढ़ना मुश्किल हो गया हो तो, इस आयुर्वेदिक योग का प्रयोग करें ।
घटक द्रव्य
इंद्रयाण अजवाइन 100 ग्राम, सौंठ भुनी 50 ग्राम, काली मिर्च और पीपर – 5-5 ग्राम। पिपरामूल, चित्रकमूल, च्वय, धनिया, बेल की जड, अजवायन, सफ़ेद जीरा, काला जीरा, हल्दी, दारूहल्दी, अश्वगंधा, गोखुरू, खरैटी, हरड़, बहेड़ा, आंवला, शतावरी, मीठा सुरेजान, शुद्ध कुचला, बड़ी इलायची, दालचीनी, तेजपात, नागकेसर 4-4 ग्राम और योगराज गुग्गल 100 गोली । इन सभी का महीन चूर्ण बना लें। और सुबह शाम एक चम्मच ले.
घुटनों में दर्द के कारण
घुटनों में होने वाले दर्द आमतौर पर दो प्रकार के होते हैं. क्रॉनिक (दीर्घकालिक) दर्द से अस्थायी दर्द (थोड़े समय का दर्द) अलग होता है. अधिकांश लोगों में अस्थायी दर्द इंजरी या किसी एक्सीडेंट के कारण होता है. घुटनों के क्रॉनिक दर्द बहुत ही कम स्थितियों में बिना उपचार के ठीक हो पाते हैं. ये हमेशा एक ही कारण से नहीं होते, अक्सर ये कई कारणों से होता है. कई प्रकार की शारीरिक समस्यायें या रोग घुटनों में होने वाले दर्द का कारण बन सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं:
1. गठिया (rheumatoid arthritis) – यह एक दीर्घकालिक सूजन संबंधी ऑटो इम्यून डिसऑर्डर होता है, जो दर्दनाक सूजन का कारण बन सकता है और अंत में हड्डियों में विकृति और क्षय (घिसना, अपरदन) का कारण बन सकता है.
2. डिस्लोकेशन (dislocation) – हड्डियों के जोड़ उखड़ने या जगह से हिल जाने को डिस्लोकेशन कहा जाता है, घुटने की उपरी हड्डी (टॉपी) का डिस्लोकेशन अक्सर ट्रामा के कारण ही होता है.
3. मेनिस्कस टियर (meniscus tear) – घुटने के कार्टिलेज में एक या उससे ज्यादा टूट-फूट होना
4. लिगामेंट का टूटना (torn ligament) – लिगामेंट एक रेशेदार और लचीला ऊतक होता है, जो दो हड्डियों को आपस में जोड़ने में मदद करता है. घुटने में स्थित चार लिगामेंट में से एक का भी टूटना घुटने के दर्द का कारण बन सकता है. क्षतिग्रस्त लिगामेंट में ज्यादातर एंटेरियर क्रूसिएट लिगामेंट (ACL) के मामले पाए जाते हैं.
5. ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) – इसमें जोड़ों के बिगड़ने और उनकी बद्तर स्थिति होने के कारण दर्द, सूजन और अन्य समस्याएं होने लगती हैं.
6. टेंडिनाइटिस (tendinitis) – इसमें घुटने के अगले हिस्सें में दर्द होता है, जो सीढ़ियां चढ़नें और चलते समय और अधिक बद्तर हो जाता है.
7. बर्साइटिस (bursitis) – यह घुटने का बार-बार सामान्य से अधिक इस्तेमाल करना, या चोट आदि लगने से होता है.
8. गाउट (gout) – यह गठिया का एक रूप होता है, जो यूरिक एसिड बनने की वजह से होता है.
9. बेकर्स सिस्ट (Baker's cyst) – इसमें घुटने के पीछे सिनोवियल द्रव (जोड़ों में चिकनाई लाने वाला द्रव) का निर्माण होने लगता है.
10. हड्डियों के ट्यूमर (bone tumors) – ऑस्टियोसार्कोमा कैंसर, दूसरा सबसे प्रचलित हड्डियों का कैंसर होता है, यह सबसे ज्यादा घुटनों में ही होता है.
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारक भी हैं जो घुटनों के क्रॉनिक दर्द को और बद्तर बना देते हैं, जिनमें शामिल हैं
1. घुटने के स्ट्रक्चर पर चोट लगना, सूजन और ब्लीडिंग का कारण बन सकती है और अगर इसका सही समय पर इलाज ना किया जाए तो समय के साथ-साथ यह दीर्घकालिक दर्द जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकती है.
2. घुटनों में मरोड़ या खिंचाव
3. घुटनों पर ज्यादा भार पड़ना
4. इन्फेक्शन होना
5. गलत पोस्चर और गलत ढंग से शारीरिक गतिविधियां करना
6. किसी शारीरिक गतिविधि को करने से पहले और बाद में, वॉर्म-अप और कूलिंग डाउन ना करना
7. मसल्स को गलत तरीके से स्ट्रेच करना.
घुटनों के दर्द के लक्षण
कारण के अनुसार, घुटने के दर्द की जगह और गंभीरता अलग-अलग हो सकती है. कुछ लक्षण और संकेत जो कभी-कभी घुटनों के दर्द के दौरान दिखाई देते हैं,
1. सूजन और जकड़न
2. प्रभावित त्वचा लाल होना और छूने पर गर्म महसूस होना
3. कमजोरी और अस्थिरता
4. घुटने से आवाज आना (पैर या घुटने को हिलाते समय)
5. घुटने को पूरी तरह से सीधा करने में असमर्थता