Sukhasana: सुखासन सबसे सरल योगासनों में से एक है। इसको सरल आसन भी कहा जाता है। नाम से ही स्पष्ट है कि सुखासन से अर्थ सुख से बैठना है। सुखासन किसी भी उम्र या स्तर पर किया जा सकता है। इस आसन के अभ्यास से घुटनों और टखने में खिंचाव आता है। पीठ को मजबूती मिलती है। आइए जानते हैं सुखासन के फायदे और अभ्यास का तरीका।
सुखासन के स्वास्थ्य लाभ
इस आसन के अभ्यास से शरीर और दिमाग शांत व स्थिर रहता है
सुखासन का अभ्यास थकान, स्ट्रेस, टेंशन, एंग्जाइटी और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करता है।
इसके नियमित अभ्यास से छाती और काॅलर बोन चौड़े हो जाते हैं।
शरीर के संतुलन में सुधार में सुखासन का अभ्यास सहायक है।
इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी सीधी हो सकती है।
सुखासन के नियमित अभ्यास से पीठ मजबूत और सख्त बनाने में मदद मिलती है।
सुखासन के अभ्यास का सही तरीका
इस आसन को करने के लिए मैट पर पैरों को फैलाकर बैठ जाएं। इस दौरान पीठ को सीधा रखें।
अब दोनों पैरों को बारी-बारी से क्रॉस करते हुए घुटनों से भीतर की तरफ मोड़ें। घुटने बाहर की तरफ रखें और पालथी मारकर बैठ जाएं।
पैरों को आराम देते हुए बैठें। ध्यान रखें कि घुटने जमीन को छूते रहें।
कमर, गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें।
आंखें बंद करके गहरी सांस लें और कुछ मिनट इसी मुद्रा में बैठें रहे।
सुखासन के दौरान सावधानी
सुखासन का अभ्यास सुबह किया जाना बेहतर है। इस आसन के अभ्यास के लिए खाली पेट होने की जरूरत नहीं होती है लेकिन अगर आप इस आसन के बाद किए जाने वाले योगासनों को कर रहे हैं तो भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया जाए।
हिप्स या घुटनों में चोट लगी हो तो इस आसन का अभ्यास बिल्कुल भी न करें।
स्लिप डिस्क की शिकायत हो तो इस आसन के अभ्यास से पहले कुशन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सुखासन से पहले के आसन
दंडासन
सुखासन के बाद के आसन
अनुलोम-विलोम
कपालभाति
वज्रासन
उत्तानासन
धनुरासन