Sleeping cycle of child : जानिए बच्चों को कितने टाइम सोना चाहिए और कितने देर सोना चाहिए

Update: 2024-06-28 03:31 GMT
Sleeping cycle of child : किशोर स्वाभाविक रूप से देर से सोते हैं और देर से उठते हैं, क्योंकि उनकी सर्कैडियन लय यौवन और किशोरावस्था के दौरान आगे की ओर खिसक जाती है. यह लय हमारे पूर्वजों से विरासत में मिली है. आपको बता दें कि देर रात सोने से टीन एजर्स की प्रोडक्टिविटी बढ़ती है. लेकिन ज्यादातर माता-पिता बच्चे के देर सुबह सोकर उठने को लेकर नराज रहते हैं. कई बार तो इसको लेकर परिवार में क्लेश भी होने लगते हैं. बच्चों को देर तक सोने की बात कही है. क्योंकि उनकी सर्केडियन रिदम (circadian rhythm) इस उम्र में अलग होती है. इसके पीछे का साइंस अलग है.
प्रशांत देसाई कहते हैं कि यह सर्केडियन हमें हमारे पूर्वजों से विरासत में मिली है, जो रात में हमारी रक्षा करते थे, जबकि वयस्क जल्दी सो जाते थे. प्यूबर्टी (Puberty) के बाद यह सर्केडियन लय 10 या 11 बजे शिफ्ट हो जाती है.
किशोर बहुत सारी संभावनाओं और जीवन से भरे होते हैं. शोध से पता चलता है कि ज़्यादातर किशोरों को रोजाना उतनी नींद नहीं मिलती जितनी उन्हें चाहिए. हर व्यक्ति की नींद की जरूरत अलग-अलग होती है. यह जरूरत एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है. किशोर अपने विकास के एक महत्वपूर्ण (importance) चरण में होते हैं. इस वजह से, उन्हें वयस्कों की तुलना में ज्यादा नींद की जरूरत होती है. औसत किशोर को हर रात लगभग नौ घंटे की नींद की जरूरत होती है ताकि वह सतर्क और अच्छी तरह से आराम महसूस कर सके. इसलिए बच्चों को भरपूर नींद लेने दीजिए. उनकी नींद में खलल न डालें.
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