लाइफस्टाइल: गर्दन, शरीर का एक जरूरी हिस्सा है जिसमें स्पाइनल बोन्स, मांसपेशियां और कई तरह के टिशूज शामिल होते हैं. शरीर के कुछ अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों के विपरीत, गर्दन ढकी हुई नहीं होती जिस कारण इसमें चोट लगने का खतरा होता है. गर्दन में खिंचाव की समस्या भी आम है और इसकी वजह से में दर्द का सामना करना पड़ता है.
आमतौर पर गर्दन में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए लोग दवाई या घरेलू उपायों का सहारा लेते हैं. हालांकि कई बार मामूली सा लगने वाला गर्दन का यह दर्द किसी खतरनाक बीमारी का संकेत भी हो सकता है. आइए जानते हैं गर्दन में होने वाला ये दर्द किन बीमारियों का संकेत हो सकता है और आपको डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए.
क्यों होता है गर्दन में दर्द- कई बार सुबह सोकर उठने के बाद गर्दन में दर्द या अकड़न महसूस होती है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे ऊंचे तकीये के ऊपर सिर रखना, हार्ड गद्दे पर सोना या फिर रात में सोते समय नींद में गर्दन टेढ़ी हो जाना. इसके अलावा जब आप कम्यूटर या लैपटॉप पर एक ही पोजीशन में घंटों बैठकर काम करते हैं तो इससे भी आपकी गर्दन में अकड़न आ सकती है.
गर्दन की दाईं तरफ दर्द के कुछ अन्य कारण
– रूमेटाइड अर्थराइटिस
– कैंसर
– गंभीर चोट
– नर्वस और स्पाइनल कॉर्ड का डैमेज होना
– इंफेक्शन
– बोन डिसऑर्डर
स्ट्रेस और चिंता- स्ट्रेस के कारण मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं. अक्सर लोग जब तनाव में होते हैं तो उन्हें गर्दन और पीठ में दर्द होने लगता है.
नॉन-स्पेसिफिक नेक पेन- कई बार गर्दन में दर्द का सही कारण पता नहीं चलता. जब गर्दन में बिना किसी कारण के दर्द होता है तो इसका मतलब है कि आपकी कोई मसल टिशू टूटी है. गर्दन में इस तरह का दर्द होना काफी आम होता है.
टॉर्टिकोलिस- यह गर्दन की मांसपेशियों से जुड़ी एक ऐसी समस्या है, जिसके कारण सिर एक ओर झुक जाता है. मांसपेशियों में किसी प्रकार की क्षति या रक्त संचार प्रभावित होने के कारण इस समस्या का सामना करना पड़ता है. टॉर्टिकोलिस एक ऐसी समस्या है जो आपको कभी भी हो सकती है.
टॉर्टिकोलिस होने पर व्यक्ति की गर्दन सोते समय तो बिल्कुल ठीक रहती है लेकिन जब वह सोकर उठता है तो गर्दन को हिला भी नहीं पाता. बहुत से मामलों में यह दर्द कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन कुछ मामलों में टॉर्टिकोलिस किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है. टॉर्टिकोलिस के कारण ट्यूमर, इंफेक्शन आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
ब्रैकियल प्लेक्सस- ब्रैकियल प्लेक्सस नर्वस का एक नेटवर्क होता है जो स्पाइनल कॉर्ड से कंधों, बांह और हाथों को सिग्नल भेजता है. गर्दन में चोट के कारण जब इसका प्रभाव ब्रैकियल प्लेक्सस पर पड़ता है तो इससे हाथों में भी दर्द होने लगता है. ब्रैकियल प्लेक्सस में चोट लगने का सबसे कॉमन कारण कार एक्सीडेंट या खेल के दौरान लगने वाली चोट है.
गर्दन दर्द का उपचार- अगर आपकी गर्दन का दर्द मामूली है तो आप इसे कुछ घरेलू उपायों की मदद से ठीक कर सकते हैं. आप दर्द कम करने वाली दवाइयां ले सकते हैं. हीट पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं. गर्दन की मसाज, स्ट्रेच करना, कूल पैड या आईस से भी दर्द से राहत पाई जा सकती है. इसके अलावा सोते, बैठते और चलते समय बॉडी पोस्चर ठीक रखें. गर्दन को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज करें.