प्रोटीन शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने, वजन घटाने और भूख को कंट्रोल करने में काम आता है। टिश्यू के विकास और रखरखाव से ले कर, बायोकैमिकल प्रतिक्रियाओं, त्वचा, बालों आदि के लिए मजबूती प्रदान करने, तरल पदार्थ को संतुलित करने, प्रतिरक्षा में सुधार करने और ऊर्जा प्रदान करने तक प्रोटीन की हमारे शरीर के विभिन्न अंगों के कुशल कामकाज में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रोटीन लेने के कई सारे फायदे हैं, वहीं हर दिन एक निश्चित मात्रा से ज्यादा प्रोटीन आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। एक स्टडी में पाया बया है कि अगर प्रोटीन का ज्यादा सेवन करते है तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
स्टडी में यह बात सामने आई है कि हाई प्रोटीन वाले आहार जैसे रेड मीट का अधिक सेवन करने से कैंसर का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि रेड मीट में फैट और कैंसरजनक तत्व पाए जाते हैं। स्टडी में पाया गया है कि अगर हम जरूरत से ज्यादा प्रोटीन का सेवन करते है तो कैंसर होने का खतरा 4 फीसदी ज्यादा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, इस स्टडी में ये भी जिक्र किया गया है कि रेड मीट खाने वाले ज्यादातर लोगों की मौत डायबिटीज से होती है। स्टडी के मुताबिक, प्रोटीन से सिर्फ 10 फीसदी कैलोरी लेने वाले लोगों की तुलना में आपको कैंसर होने का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है।
ये स्टडी इटली के प्रसिद्ध बायोलॉजिस्ट वॉल्टर डी लोंगो ने अपनी टीम के साथ मिलकर की है। वॉल्टर इससे पहले भी न्यूट्रिशन, फास्टिंग और वेट लॉस प्रोग्राम पर कई स्टडीज कर चुके हैं। यह स्टडी पचास साल से अधिक उम्र के 6,138 प्रतिभागियों पर किया गया था। रिसर्च और इसके परिणाम को विस्तार से सेल मेटाबॉलिज्म पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
स्टडीज और स्वास्थ्य एजेंसियों के अनुसार, किसी व्यक्ति को अपने वजन के प्रति किलोग्राम के हिसाब से 0.8 ग्राम प्रोटीन खाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपका वजन 60 किलो है, तो आपको प्रतिदिन 48 ग्राम से अधिक प्रोटीन नहीं लेनी चाहिए।
यहां हम आपको बता रहे हैं कि प्रोटीन कितने प्रकार के होते है
प्रोटीन 2 प्रकार होते हैं, पूर्ण और अधूरे। पशु प्रोटीन पूर्ण प्रोटीन होते हैं, जबकि पौधों से प्राप्त प्रोटीन अपूर्ण होते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए किसी दूसरे खाद्य स्रोत के साथ जोड़ा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, चावल या रोटी को फलियों या दाल के साथ खाने की आवश्यकता होती है।
इंडियन डायटैटिक एसोसिएशन यानी आईडीए के ताजा शोध से पता चला है कि भारतीय आहार शरीर को आवश्यक मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त नहीं होता है। इस में 50 प्रतिशत अपर्याप्त प्रोटीन पैटर्न होता है।
जाने कितनी तरह की प्रोटीन डाइट होती है और किस डाइट में कितनी कैलोरी पाई जाती है
हाई प्रोटीन डाइट (High Protein Diet)- इस डाइट में आमतौर पर लोग 20 प्रतिशत या उससे ज्यादा कैलोरी अपने प्रोटीन से लेते हैं। इसमें प्लांट और एनिमल बेस्ड, दोनों डाइट शामिल हैं।
मीडियम प्रोटीन डाइट (Medium Protein Diet) - जब आपको प्रोटीन से अपनी कैलोरी का 10 से 15 प्रतिशत मिलता है।
लो प्रोटीन डाइट (Low Protein Diet) - जब आप प्रोटीन से शरीर की कुल कैलोरी का 10 प्रतिशत या उससे भी कम प्राप्त करते हैं।
स्टडी के अनुसार, कार्बोहाईड्रेट और वसा वाली चीजें खाने से कैंसर की बीमारी का कोई संबंध नहीं है।
अपनी डाइट में प्रोटीन की मात्रा कम कर दीजिए, खासतौर से जो प्रोटीन आप रेड मीट, डेयरी प्रोडक्ट और चीज़ से लेते है। पर ध्यान रहे कि प्रोटीन की मात्रा इतनी भी कम न हो जाए कि आप जल्द ही कुपोषित दिखने लगें।
प्रोटीन के कुछ अच्छे स्रोत हैं
- हरी सब्जियों की श्रेणी में आने वाली बींस और फलियों से न केवल प्रोटीन, बल्कि आयरन भी मिलता है। इस श्रेणी में आने वाले कुछ खाद्य पदार्थों में सोयाबीन, छोले, सेम, राजमा, मसूर, मूंगफली और लिमा सेम जैसे उत्पाद शामिल हैं। इन किस्मों को साबुत लेना बेहतर है, क्योंकि इस से शरीर में बेहतर तरीके से अवशोषण होने में मदद मिलती है।
- नट्स और बीज जैसे कि कद्दू, सूरजमुखी व तिल के बीज, पिस्ता, बादाम और काजू आदि प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
- डेयरी और अंडे से प्रोटीन प्राप्त किया जा सकता है। अंडा, दूध, दही और पनीर में काफी प्रोटीन होता है। वजन घटाने के लिए भी प्रोटीन उत्कृष्ट है।
आपको बता दे, कम या संतुलित मात्रा में प्रोटीन लेने से जल्द मौत ही संभावना 21 फीसदी कम हो जाती है।