Nataraja Asana: वेट लॉस करने में किसी रामबाण से कम नहीं नटराज आसन, जानें फायदे और करने का तरीका
Nataraja Asana: नटराजासन को 'नृत्य मुद्रा का देवता' भी कहा जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, नटराज भगवान शिव को दिया गया एक नाम है। नटराजासन को भगवान शिव की नृत्य मुद्राओं में से एक माना जाता है। नटराजासन 3 शब्दों से मिलकर बना है- नट, राज और आसन। नट का मतलब है नृत्य, राज का मतलब है राजा और आसन का मतलब है मुद्रा। यह आसन मुख्य रूप से खड़े होकर किया जाता है। इसे करने से वजन कम होने के साथ-साथ शरीर संतुलित रहता है। आइए जानते हैं नटराजासन करने का सही तरीका और फायदे क्या हैं।
नटराजासन कैसे करें
नटराजासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछाकर उस पर खड़े हो जाएं। अब सबसे पहले अपने बाएं पैर को पीछे उठाएं और घुटने को मोड़कर बाएं हाथ की मदद से पैर के अंगूठे को पकड़ें। अपनी आंखों को सामने की ओर केंद्रित करें और दाएं पैर से संतुलन बनाने की कोशिश करें। अपने दाएं हाथ को सीधा रखें और उसे कंधे की सीध में रखने की कोशिश करें। अब अपने बाएं पैर को जितना हो सके उतना ऊपर उठाएं। इस स्थिति को नटराज मुद्रा कहते हैं। इस स्थिति में जितना हो सके उतना देर तक रहने की कोशिश करें। अब गहरी लंबी सांस लेते हुए अपने शरीर को स्थिर रखने की कोशिश करें। कुछ देर बाद पुरानी स्थिति में आने के लिए सबसे पहले बाएं पैर को नीचे रखें और अपने बाएं हाथ को भी नीचे लाएं। इसी तरह दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं। हो सकता है कि शुरुआत में इस आसन को करते समय आपका संतुलन बिगड़ जाए। ऐसे में आप दीवार का सहारा लेकर भी इस आसन को कर सकते हैं। शुरुआत में 10 से 15 सेकंड तक इस स्थिति में रहना सही रहता है, लेकिन बाद में आप समय बढ़ा सकते हैं।
नटराज आसन करने के फायदे
- जो लोग वजन कम करना चाहते हैं या पेट की चर्बी कम करना चाहते हैं, वे नटराज आसन की मदद ले सकते हैं।
- जिन लोगों का पाचन तंत्र ठीक नहीं है या पेट से जुड़ी समस्याएं हैं। वे भी इस आसन को करके अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ बना सकते हैं।
- नटराजासन योग शारीरिक संतुलन को बेहतर बनाकर कंधों, पीठ, हाथ और पैरों को मजबूत बनाता है।
- नटराजासन को सही तरीके से करने से शरीर के दर्द और मांसपेशियों की समस्याओं से राहत मिल सकती है।
-नटराजासन मन को शांत करने, तनाव कम करने और एकाग्रता में सुधार करने में फायदेमंद है।
-नटराजासन योग करने से जांघों, कूल्हों, टखनों और छाती में खिंचाव आता है और वे मजबूत होती हैं।
-नटराजासन का अभ्यास करने से एकाग्रता बढ़ती है।