Lifestyle: डिप्रेशन में ज़रूर करे यह 2 योगासन

गतिहीन जीवनशैली और गलत खान-पान की वजह से व्यक्ति न चाहते हुए भी तनाव और चिंता से घिरा रहता है

Update: 2024-06-15 02:30 GMT

लाइफस्टाइल: भागदौड़ भरी जिंदगी में Sedentary lifestyle और गलत खान-पान की वजह से व्यक्ति न चाहते हुए भी तनाव और चिंता से घिरा रहता है। जिसके कारण कई गंभीर बीमारियां व्यक्ति को अपना शिकार बनाने लगती हैं। ऐसे में योग व्यक्ति को लंबे समय तक स्वस्थ, रोगमुक्त और चुस्त-दुरुस्त रहने में मदद कर सकता है। योग के नियमित अभ्यास से व्यक्ति को तनाव, चिंता, अवसाद जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और फोकस में सुधार करने में मदद मिलती है। आपको बता दें, मई महीने को मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इस महीने को मनाने के पीछे का उद्देश्य मानसिक या व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ऐसे में अगर आप भी तनाव, अवसाद या चिंता जैसी किसी समस्या से परेशान हैं तो ये 2 योगासन आपकी समस्या का समाधान करने में आपकी मदद कर सकते हैं।

वज्रासन: विशेषज्ञों के अनुसार, तनाव और चिंता को दूर करने के लिए वज्रासन सबसे अच्छा आसन है। इस आसन को करते समय व्यक्ति को तनावमुक्त रहना चाहिए। इसे करने से छाती और पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ने के अलावा पाचन भी बेहतर होता है। इस आसन को करते समय धीरे-धीरे सांस लेने से व्यक्ति का तनाव दूर होता है। इस आसन को करते समय सबसे पहले योगा मैट पर फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। इसे करते समय घुटने पीछे की ओर होने चाहिए और कूल्हे एड़ियों पर टिके होने चाहिए। ऐसा करते समय कोशिश करें कि दोनों पैर एक-दूसरे को न छुएं और रीढ़ सीधी रहे। इस स्थिति में रहते हुए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। सिर, गर्दन और रीढ़ को एक सीधी रेखा में रखते हुए हथेलियों को अपनी जांघों पर रखें। कुछ देर इसी स्थिति में रहें।

संतुलनासन: संतुलनासन मणिपुर चक्र को उत्तेजित करके पूरे शरीर को सक्रिय करता है। जिससे Positivity की भावना पैदा होती है। इस आसन के नियमित अभ्यास से आंतरिक संतुलन और सामंजस्य की भावना विकसित होती है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और अपनी हथेलियों को कंधों के नीचे रखें और शरीर, श्रोणि और घुटनों को ऊपर उठाएं। ऐसा करते समय घुटनों को सीधा करें और सुनिश्चित करें कि घुटने, श्रोणि और रीढ़ एक सीधी रेखा में हों। अब कलाइयों को कंधों के नीचे संरेखित रखें।

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