जानिए सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए

बरसात के मौसम में खान पान पर विशेष ध्यान रखना होता है। मानसून में अक्सर घर के बड़े बुजुर्ग हरी पत्तेदार सब्जियों, कढ़ी आदि का सेवन करने से मना करते हैं।

Update: 2022-07-20 04:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बरसात के मौसम में खान पान पर विशेष ध्यान रखना होता है। मानसून में अक्सर घर के बड़े बुजुर्ग हरी पत्तेदार सब्जियों, कढ़ी आदि का सेवन करने से मना करते हैं। इसके कुछ आयुर्वेदिक और मौसमी वजह होती हैं। आहार विशेषज्ञों के मुताबिक, मानसून में संक्रामक रोगों का जोखिम बढ़ जाता है, ऐसे में बाहर से आने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में रोगाणुओं का खतरा बढ़ जाता है। इससे पेट की समस्याओं का जोखिम हो जाता है। इसी तरह बारिश में दही और उससे बनी चीजों का सेवन भी न करने की सलाह दी जाती है। वैसे तो रोजाना दही खाने की सलाह दी जाती है। दही में मौजूद कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन सेहत के लिए फायदेमंद है और पाचन को दुरुस्त रखता है लेकिन सावन या मानसून के मौसम में दही के सेवन की मनाही क्यों होती है? चलिए जानते हैं सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए।

आयुर्वेद में दही खाने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि दही का सेवन सुबह या दोपहर के खाने में करना चाहिए। रात में दही नहीं खाना चाहिए। वहीं आयुर्वेद में मानसून में दही के सेवन की मनाही है। इसका आयुर्वेदिक कारण भी है। कहा जाता है कि बारिश में दही खाने के कुछ दुष्प्रभाव हैं।
सावन में दही न खाने की वजह
आयुर्वेद के मुताबिक, बारिश के मौसम में शरीर के दोष असंतुलित हो जाते हैं। वहीं वात बढ़ जाता है और पित्त जमा हो जाता है। यानी मानसून में पेट संबंधी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। भले ही दही पाचन के लिए बेहतर सामग्री है लेकिन सावन में दही खाने से शरीर के छिद्र बंद हो जाते हैं और कई तरह की शारीरिक समस्याएं बढ़ जाती है।
मानसून में दही के सेवन के दुष्प्रभाव
माना जात है कि सावन में दही के सेवन से गले में खराश हो जाती है। दही खाने से जोड़ों में दर्द और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। बारिश में दही शरीर के लिए इंफेक्शन बढ़ाने में मदद करता है।
मानसून में क्या न खाएं
बारिश के मौसम में दही के अलावा दही से बनने वाले अन्य चीजों का सेवन भी करने से मना किया जाता है। जैसे-छाछ, कढ़ी, ढोकला, दही बड़ा, इडली आदि न खाने की सलाह दी जाती है।
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