जानें क्या है मलेरिया रोग, इसके लक्षण और बचाव के उपाय के बारे में
मलेरिया बीमारी पर रोकथाम लगाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व मलेरिया दिवस सेलिब्रेट किया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रत्येक वर्ष पूरी दुनिया में 25 अप्रैल को 'विश्व मलेरिया दिवस 2022' (World Malaria Day 2022) मनाया जाता है. यह दिन मलेरिया बीमारी पर रोकथाम लगाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है। मलेरिया (Malaria) का समय पर निदान और इलाज ना किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. प्लास्मोडियम परजीवी (Plasmodium parasite) के कारण होने वाला मलेरिया संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है. रोग की गंभीरता परजीवी पर निर्भर करती है. आइए जानते हैं 'वर्ल्ड मलेरिया डे' के उपलक्ष में जानें क्या है मलेरिया रोग, इसके लक्षण और बचाव के उपाय के बारे मेंयहां.
कैसे होता है मलेरिया
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल (नई दिल्ली) के सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ. सुरनजीत चटर्जी कहते हैं कि आमतौर पर मलेरिया सबसे ज्यादा मानसून और गर्मी के सीजन में होता है, क्योंकि इन दिनों मच्छरों की संख्या काफी बढ़ जाती है. मलेरिया के मच्छर ज्यादा तर उन जगहों पर पनपते हैं, जहां गंदगी होती है, गंदा पानी जमा होता है. मलेरिया एनोफेलीज मच्छर (anopheles mosquito) के काटने से होता है. एनोफेलीज मच्छर प्लास्मोडियम पैरासाइट से संक्रमित होता है और जब ये मच्छर किसी को काट लेता है, तो ये पैरासाइट ब्लड में प्रवेश करके लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है.
मलेरिया के लक्षण
डॉ. सुरनजीत चटर्जी कहते हैं, मलेरिया होने पर मुख्य रूप से तेज बुखार होता है. साथ ही सिर दर्द, बदन दर्द, ठंड लगना आदि लक्षण नजर आते हैं. व्यक्ति को 103 डिग्री से लेकर 105 डिग्री तक बुखार हो सकता है. क्लासिकली कभी-कभी ऐसा होता है कि कई बार मलेरिया का बुखार आता है और फिट ठीक हो जाता है. फिर से बुखार आता है और फिर से ठीक हो जाता है. इसे हम इंटरमिटेंट फीवर कहते हैं. कई बार लगातार भी बुखार हो सकता है. ऐसे में गर्मी या मानसून के मौसम में जब भी आपको तेज बुखार हो, बदन दर्द या सिर दर्द हो, तो लापरवाही बिल्कुल भी नहीं बरतनी चाहिए. डॉक्टर से जरूर दिखा लेना चाहिए. यह मलेरिया हो सकता है. मलेरिया के लक्षण 24 घंटे से 48 घंटे में नजर आ सकते हैं.
भारत में रेजिस्टेंट मलेरिया का जोन
डॉ. चटर्जी आगे बताते हैं कि कई मलेरिया काफी खतरनाक होते हैं, जिससे मरीज की मौत हो जाती है. भारत में रेजिस्टेंट मलेरिया का जोन है. दूसरा जो और भी ज्यादा खतरनाक मलेरिया है, वो है फैल्सीपेरम मलेरिया (falciparum malaria).ये बहुत ही ज्यादा खतरनाक मलेरिया होता है, जिसमें मरीज कोमा में जा सकता है, किडनी और लिवर का डिस्फंक्शन हो सकता है यानी ये दोनों अंग फेल हो सकते हैं. ब्लड प्रेशर कम हो सकता है. इसमें भी लक्षण समान ही होते हैं, लेकिन फैल्सीपेरम मलेरिया बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है. इसमें व्यक्ति को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है और जल्द से जल्द प्रॉपर इलाज ना दिया जाए, तो मरीज की मौत भी हो सकती है. कई तरह की दवाओं से इलाज किया जाता है.
मलेरिया का निदान और इलाज
मलेरिया का निदान लैब टेस्ट के जरिए होता है. मलेरियल पैरासाइट और मलेरियल एंटीजेन टेस्ट किया जाता है. इन्हीं टेस्ट के जरिए लैब वाले बताते हैं कि किस प्रकार के मलेरिया से व्यक्ति ग्रस्त है. यदि नॉर्मल मलेरिया हुआ है, तो इलाज सही तरीके से हो, तो व्यक्ति तीन से पांच दिन में ठीक हो सकता है. यदि दवा सही है, डोज पहले से ही दिया जाए और रेजिस्टेंट मलेरिया नहीं है, तो व्यक्ति जल्दी ही स्वस्थ हो सकता है. यदि सीवियर फैल्सीपेरम मलेरिया हुआ है और इसका इलाज सही से ना किया जाए, तो मौत भी हो सकती है.
मच्छरों से बचाव के उपाय
मच्छरों से बचकर रहें, क्योंकि आपको ये पता नहीं चल सकता है कि किस मच्छर के काटने से मलेरिया हो सकता है. ऐसे में खुद को सुरक्षित रखने के लिए उचित उपाय अपनाएं. घर के आसपास साफ-सफाई का ख्याल रखें, कहीं भी पानी ना जमने दें. मच्छरदानी लगाकर सोएं. मच्छरों से बचने का इससे बेहतर उपाय कोई और नहीं, लेकिन आजकल बहुत कम लोग मच्छरदानी का इस्तेमाल करते हैं. मॉस्किटो रेपलेंट्स का इस्तेमाल करें.