अक्सर पेट भरा होने पर भी हमें भूखा क्यों महसूस करते हैं? परेशान होने पर हम क्यों ज़्यादा खाते हैं? क्या भूख को नियंत्रित किया जा सकता है? खानपान की आदतों को वापस कैसे लौटाया जा सकता है ढर्रे पर? इस लेख में भूख से जुड़े कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की गई है.
पेट भरा, पर हम भूखे क्यों?
ऐसा कई बार होता है कि भरपेट खाने के कुछ समय बाद हमें फिर से भूख सताने लगती है. ऐसा क्यों होता है? जानकार कहते हैं ये नकली भूख है. अब ये असली भूख और नकली भूख क्या है? असल भूख माने हमारे शरीर को सचमुच खाने की आवश्यकता है और नकली (छद्म) का अर्थ हुआ पेट के मना करने के बावजूद खाने की इच्छा होना. इस सवाल का वैज्ञानिक कारण बताती हैं मुंबई के भक्तिवेदांत हॉस्पिटल की चीफ़ डायटीशियन वैदेही नवाठे,‘‘हम कई बार प्यास को भूख समझ बैठते हैं. यदि आपने घंटे भर पहले खाना खाया हो, बावजूद उसके कुछ खाने की इच्छा हो रही है तो इसका मतलब है कि आपको प्यास लगी है. ऐसे में आप पानी या फलों का रस पी सकते हैं. यदि तब भी भूख शांत न हो तो थोड़े फल खा लें. कभी-कभी थके होने पर भी भूख लगने सा एहसास होता है. अक्सर नींद पूरी न होने या मानसिक तनाव के चलते होने वाली थकान को ऊर्जा की कमी समझकर कुछ न कुछ खाते हैं या शक्करयुक्त पेय पदार्थ बतौर एनर्जी बूस्टर पीते हैं. बजाय इसके हमें १०-१५ मिनट की झपकी ले लेनी चाहिए. इस छोटी झपकी के बाद आप तरोताज़ा महसूस करेंगे.’’
फिर कैसे जानें भूख असली है या नकली?
असली भूख और छद्म भूख में फ़र्क़ करने के लिए हमें हंगर सिगनल्स यानी भूख लगने के संकेतों को पहचानना सीखना होगा. असली भूख के कुछ संकेत हैं-पेट में हल्के मरोड़ के साथ भूख लगने का एहसास होना (जिसे पेट में चूहे कूदना भी कहते हैं), कमज़ोरी और ऊर्जा की कमी महसूस करना, हल्का सिरदर्द होना और किसी चीज़ पर ध्यान एकाग्रचित्त न होना. इसके अलावा थोड़ा चिड़चिड़ापन भी हो सकता है. वहीं छद्म भूख के लक्षण हैं-प्यास लगना, पेट भरा होने के बावजूद किसी विशेष व्यंजन को देखकर खाने की इच्छा होना, सार्वजनिक समारोहों में दूसरों की देखादेखी खाने का मन करना.
मन परेशान, पर क्यों भर नहीं रही पेट की दुकान?
शायर कहते हैं, हम परेशान होते हैं तो भूख, प्यास, नींद, चैन सब खो जाते हैं. पर पिछली बार जब आप डिस्टर्ब थे तब जमकर खाया था. क्या शायर झूठ बोलते हैं. हो सकता है कि ये शायरों का अपना अनुभव हो या उनकी कल्पना, पर अमूमन ऐसा देखा जाता है कि मानसिक रूप से परेशान रहने पर हमें भूख ज़्यादा लगती है. ऐसा क्यों होता है यह जानने के लिए हमने बात की मुंबई की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट सीमा हिंगोरानी से. सीमा के अनुसार,‘‘जब हम मानसिक रूप से परेशान होते हैं उस समय हमारे मस्तिष्क से स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसॉल के स्राव की मात्रा बढ़ जाती है. इस हार्मोन के चलते बेचैनी बढ़ जाती है. ऐसे समय कुछ खाने पर हमें अस्थायी रूप से बेचैनी से राहत मिलती है और अच्छा लगता है. इस तरह अनजाने में ही हम सामान्य से कहीं ज़्यादा खा लेते हैं. सबसे बुरी बात यह है कि ऐसे में चॉकलेट्स, पॉपकॉर्न, बर्गर,पिज़्ज़ा जैसे जंक फ़ूड खाने की इच्छा अधिक होती है. इसे इमोशनल ईटिंग कहा जाता है.’’
इमोशनल ईटिंग यानी भावना के बस में खाने के परिणाम हताशा पैदा करते हैं. अधिकतर इमोशनल ईटर मोटापे का शिकार हो जाते हैं. इस पर सीमा कहती हैं,‘‘ऐसे समय यह ध्यान दें कि कहीं आप सामान्य से ज़्यादा तो नहीं खा रहे है. हालांकि जब हम तनावग्रस्त होते हैं तो इस बारे में ध्यान नहीं जाता, पर दिमाग़ को दूसरे कामों में लगाने से तनाव से राहत मिलती है, साथ ही हम अपने खान पान की आदतों पर भी नियंत्रण रख पाते हैं. कोई किताब पढ़ें, कुछ लिखें या लंबी वॉक पर चले जाएं.’’
इमोशनल ईटिंग के बारे में बताते हुए वैदही कहती हैं,‘‘मेरे पास आने वाली कई महिलाओं का कहना है कि पीएमएस के दौरान वे आम दिनों से ज़्यादा खाती हैं. उनमें मीठा खाने की तीव्र इच्छा होती है. वे चाय, कॉफ़ी और मिठाई जैसी चीज़ों का सेवन करती हैं. ये भी इमोशनल ईटिंग का ही एक प्रकार है.’’ महिलाओं को लगता है कि पीएमएस के समय मीठा खाने की इच्छा का होना सामान्य है. पर इन चीज़ों में वसा और शुगर ही होता है, पोषक तत्व न के बराबर होते हैं. दरअसल पीएमएस के समय मीठा खाने का मन करना इस बात का इशारा है कि आपके शरीर में विटामिन बी और ज़िंक तथा मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्वों की कमी है. ‘‘पीएमएस के दौरान खान पान में काफ़ी सावधानी बरतनी चाहिए. सूप, फलों के जूस (बिना शक्कर के) और पानी जैसे तरल पदार्थ ज़्यादा लें. सूखे मेवे, सोयाबीन के प्रॉडक्ट्स फ़ायदेमंद होंगे. इसके साथ ही नमक की मात्रा को भी काफ़ी कम कर दें, आमतौर पर जितना नमक खाती हैं उसकी आधी मात्रा का सेवन करें,’’ कहना है वैदेही का.
क्या करें, जब क़ाबू में न आए भूख?
भरपेट खाना खाने के कुछ समय बाद ही खाने की इच्छा होना यह संकेत करता है कि वास्तविक भूख पर मानसिक भूख का पलड़ा भारी पड़ रहा है. ऐसे में सबसे पहले पानी पिएं, क्योंकि हो सकता है कि यह भूख नहीं प्यास का एहसास हो. यदि तब भी मन न माने तो वैदेही के अनुसार कुछ हल्का फुल्का खा सकते हैं. ‘‘छद्म भूख लगने पर दही या सूखे मेवे खाए जा सकते हैं. आप ग्रीन टी भी पी सकते हैं. मुनक्के, बादाम, खजूर जैसे सूखे मेवे पास रखें. इनका एक फ़ायदा यह है कि इनमें शुगर की मात्रा कम होती है,’’ छद्म भूख पर क़ाबू पाने की यह वैदेही की सलाह है. ऐसे समय मैदे की चीज़ें (जैसे ब्रेड या पाव), चाय, कॉफ़ी, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स) आदि तो बिल्कुल भी न खाएं. जब ऑफ़िस में छद्म भूख लगे तो क्या करें? वैदेही कहती हैं,‘‘आजकल बाज़ार में पॉप कॉर्न की तरह ही व्हीट (गेहूं) पॉप उपलब्ध हैं. मन पर क़ाबू न रहने पर इन्हें खा सकते हैं. इसी प्रकार चने भिगोकर उबाल लें. उन्हें एयर टाइट डिब्बे में रख लें. जब कभी भूख का एहसास हो तो इन्हें खाया जा सकता है. चाहें तो इसमें थोड़ा चाट मसाला, टमाटर, खीरा और प्याज़ भी मिला सकते हैं. इससे पेट भरा महसूस होगा. सबसे अहम् बात चने खाना सेहत के लिए भी फ़ायदेमंद होता है.’’ वहीं सीमा चेतावनी देती हैं,‘‘ऑफ़िस की ड्रॉवर में चॉकलेट्स, चिप्स जैसी चीज़ें न रखें, क्योंकि भूख महसूस करने पर इन्हें खाना सेहत की दृष्टि से ठीक नहीं है.’’
खानपान की आदतों को कैसे लौटाएं पटरी पर?
खानपान की आदतों को पटरी पर लौटाने के लिए सबसे अहम् है उचित समय पर खाने की आदत डालना. ‘‘महिलाओं के हार्मोन्स हर घंटे बदलते रहते हैं, अत: उन्हें हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए,’’ कहनी हैं जानीमानी न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर. रुजता की बात को आगे बढ़ाते हुए वैदेही कहती हैं,‘‘खाने पीने की सही आदतें अपनाना बेहद ज़रूरी है. हमें दिन में तीन मील खाने की आदत डालनी चाहिए और इसके अलावा भी दिन में दो तीन बार कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए. ऐसा करने से बिना भूख के ग़ैरसेहतमंद चीज़ें खाने से बच सकेंगी.’’ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुबह का नाश्ता कभी न मिस करें. सुबह पेट भर के नाश्ता करें. नाश्ते में जल्दी पचने वाले कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन की मात्रा अधिक होनी चाहिए.
यदि आप रात को देर तक काम करने वालों में से हैं तो दोपहर और शाम के खाने में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा वाले खाद्य पदार्थ खाएं. सुबह जल्दी उठनेवाले दिन की शुरुआत में अंडे की सफ़ेदी जैसे प्रोटीन की अधिकता वाली चीज़ें खा सकते हैं. प्रोटीन में टायरोसिन नामक अमीनो एसिड होता है, जो दिमाग़ को सजग रखता है. यदि आपको दिनभर थकान या भारीपन महसूस होता तो वसा की अधिकतावाले खाद्य पदार्थ न खाएं.
बड़े काम की छोटी बातें
• दिनभर में कम से कम आठ ग्लास पानी पिएं. इससे छद्म भूख पर नियंत्रण रखा जा सकता है. इतना ही नहीं पानी एक बेहतरीन क्लिंजिंग एजेंट भी है.
• अपनी डॉक्टर से इस बारे में बात कर लें कि कौन सा विटामिन सप्लीमेंट आपके लिए फ़ायदेमंद होगा.
• सुबह के आहार की शुरुआत फलों से करें.
• सुबह के नाश्ते में जल्दी पचने वाले कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन की अधिक मात्रा होनी चाहिए. उदाहरण के तौर पर इडली, पोहा, अंडे की सफ़ेदी इत्यादि.
• ऑफ़िस में अपने पास नट्स, चीज़, सोया मिल्क ज़रूर रखें. हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाती रहें. लंच के डब्बे में पौष्टिक सब्ज़ी और रोटी रखना न भूलें.
• दिन में तीन मील खाने की आदत डालें. इससे ब्लड शुगर का स्तर सामान्य बना रहता है और इन्हें खाने के बाद आप ऊर्जावान महसूस करती रहेंगी.