जलियांवाला बाग नरसंहार कब हुआ था?
पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग नाम की एक जगह है। 13 अप्रैल 1919 के दिन इसी जगह पर अंग्रेजों ने कई भारतीयों पर गोलियां बरसाई थीं। उस कांड में कई परिवार खत्म हो गए। बच्चे, महिला, बूढ़े तक को अंग्रेजो ने नहीं छोड़ा। उन्हें बंद करके गोलियों से छलनी कर दिया।
क्यों हुआ था जलियांवाला बाग नरसंहार?
दरअसल, उस दिन जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की दमनकारी नीति, रोलेट एक्ट और सत्यपाल व सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ एक सभा का आयोजन किया गया था। हालांकि इस दौरान शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। लेकिन कर्फ्यू के बीच हजारों लोग सभा में शामिल होने पहुंचे थे। कुछ लोग ऐसे भी थे जो बैसाखी के मौके पर अपने परिवार के साथ वहीं लगे मेले को देखने गए थे।
जलियांवाला बाग का दोषी कौन?
जब ब्रिटिश हुकूमत ने जलियांवाला बाग पर इतने लोगों की भीड़ देखी, तो वह बौखला गए। उनको लगा कि कहीं भारतीय 1857 की क्रांति को दोबारा दोहराने की ताक में तो नहीं। ऐसी नौबत आने से पहले ही वह भारतीयों की आवाज कुचलना चाहते थे और उस दिन अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। सभा में शामिल नेता जब भाषण दे रहे थे, तब ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर वहां पहुंच गए। कहा जाता है कि इस दौरान वहां 5000 लोग पहुंचे थे। वहीं जनरल डायर ने अपने 90 ब्रिटिश सैनिकों के साथ बाग को घेर लिया। उन्होंने वहां मौजूद लोगों को चेतावनी दिए बिना ही गोलियां चलानी शुरू कर दी।
जलियांवाला बाग नरसंहार के 10 मिनट
ब्रिटिश सैनिकों ने महज 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाईं। इस दौरान जलियांवाला बाग में मौजूद लोग उस मैदान से बाहर नहीं निकल सकते थे, क्योंकि बाग के चारों तरफ मकान बने थे। बाहर निकलने के लिए बस एक संकरा रास्ता था। भागने का कोई रास्ता न होने के कारण लोग वहां फंस कर रह गए।
लाशों से पट गए कुएं
अंग्रेजों की गोलियों से बचने के लिए लोग वहां स्थित एकमात्र कुए में कुद गए। कुछ देर में कुआं भी लाशों से भर गया। जलियांवाला बाग में शहीद होने वालो का सही आंकड़ा आज भी पता न चल सका लेकिन डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, तो जलियांवाला बाग में 388 शहीदों की लिस्ट है। ब्रिटिश सरकार के दस्तावेजों में 379 लोगों की मौत और 200 लोगों के घायल होने का दावा किया गया। हालांकि अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार और जनरल डायर के इस नरसंहार में 1000 से ज्यादा लोग शहीद हुए थे और लगभग 2000 से अधिक भारतीय घायल हुए थे।