जानिए भारत सरकार ने बताया, नये कोरोना वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स लोगो पर कितना असर पड़ेगा

ब्रिटेन सरकार की कोरोना वायरस वैक्सीन के प्रति नई गाइडलाइन्स जारी करने के बाद

Update: 2020-12-16 07:35 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क| ब्रिटेन सरकार की कोरोना वायरस वैक्सीन के प्रति नई गाइडलाइन्स जारी करने के बाद, अब भारत की केंद्र सरकार ने भी वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। सरकार ने सबको सचेत करते हुए कहा है कि वैक्सीनेशन के साइड-इफेक्ट्स को नकारा नहीं जा सकता। ब्रिटेन में वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स देखे गए थे, जिसके बाद अधिकारियों ने एक नई गाइडलाइन्स जारी करते हुए कहा कि एनाफिलेक्सिस के इतिहास वाले लोगों को वैक्सीन लगवाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर कर लेना चाहिए।

भारत ने भी माना होंगे वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की तरफ से भारत में कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति को लेकर मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि भारत उन देशों में है, जो प्रति 10 लाख की आबादी कोरोना के मामलों की संख्या 7 हज़ार 178 है, वहीं इसका वैश्विक औसत 9 हड़ार है।

राजेश भूषण ने यह भी कहा कि वैक्सीन के बाद इसके साइड-इफेक्ट्स की घटनाएं सामने आने की उम्मीद है। जिसके लिए देश के राज्यों को तैयारी करने की ज़रूरत है। भारत में कोरोना वायरस के 15.55 करोड़ से ज़्यादा नमूनों की अब तक जांच की गई है। साथ ही भारत में कोरोना संक्रमण दर गिरकर 6.37 प्रतिशत हो गई है। जबकि देश में वर्तमान समय में मृत्यु दर 1.45 प्रतिशत है। जोकि दुनिया में सबसे कम है।

कोरोना वैक्सीन और उसके साइड-इफेक्ट्स

वैज्ञानिक इस बात से इनकार नहीं कर रहे कि कुछ लोगों में इसके गंभीर साइड-इफेक्ट नज़र आए। पिछले हफ्ते, इंग्लैंड के दो हेल्थ-केयर कार्यकर्ता, जो वैक्सीन लगने वाले लोगों के पहले समुह में थे, में ऐनफलैक्सिस विकसित हो गया, जो एक गंभीर एलर्जीक प्रतिक्रिया है।

दोनों का मेडिकल इतिहास गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रियाओं वाला था। इस रिएक्शन के बाद दोनों का इलाज किया गया और वे इससे उबर गए। वहीं, तीसरे व्यक्ति की दिल की धड़कने काफी तेज़ हो गईं। जिसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने एक नई गाइडलाइन्स जारी करते हुए कहा कि एनाफिलेक्सिस के इतिहास वाले लोगों को वैक्सीन लगवाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर कर लेना चाहिए। शोधकर्ताओं को यह नहीं पता है कि वैक्सीन के फॉर्मूले के किस पदार्थ से एलर्जी की गंभीर प्रतिक्रिया हुई।

पॉल ऑफिस, एक बाल रोग विशेषज्ञ और बच्चों के फिलाडेल्फिया अस्पताल में वैक्सीन विशेषज्ञ और एक खाद्य एवं औषधि प्रशासन सलाहकार पैनल के सदस्य ने कहा, "जब आप वैक्सीन को लॉन्च करने का निर्णय लेते हैं, तो इसका मतलब ये नहीं होता कि हमें सब कुछ पता है, लेकिन मुझे लगता है हमें काफी कुछ पता है।"

फाइज़र-बायोएनटेक परीक्षण के डेटा से ये साफ है कि कोविड-19 जैसी गंभीर बीमारी को रोकने के लिए ये दो-खुराक वाली वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावी साबित होगी। हालांकि, कुछ लोगों में बुख़ार, सिर दर्द, थकावट और इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द जैसे कुछ साइड-इफेक्ट्स देखे जा सकते हैं, जो आमतौर पर ज़्यादातर वैक्सीन्स में देखा जाता है।

वैक्सीन एक्सपर्ट्स ने एक बात साफ करते हुए कहा कि साइड-इफेक्ट्स होना न तो ख़राबी है और न ही असफता। साइड-इफेक्ट्स होने का मतलब ही यही है कि आपका इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने को तैयार है, जो वैक्सीन का काम है। ये वैक्सीन का एक फीचर होता है और न ही ख़राबी।  

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