जानिए रूमेटाइड अर्थराइटिस और ओस्टियोअर्थराइटिस में क्या फर्क है

Update: 2023-02-02 17:24 GMT
अर्थराइटिस जोड़ों की एक आम बीमारी है, जिसमें दर्द, जोड़ों में अकड़न और चलने में दिक्कत जैसे लक्षण परेशान करते हैं। अर्थराइटिस के कई प्रकार हैं, जिनके लक्षण भी काफी अलग हैं। जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस, ओस्टियोअर्थराइटिस, अर्थराइटिस के दो प्रकार हैं। वैसे तो सभी तरह के अर्थराइटिस में सूजन, जोड़ों में दर्द और चलने-फिरने में मुश्किल जैसे लक्षण होते हैं, लेकिन इनके अलावा भी कुछ संकेत हैं, जो इन बीमारियों में फर्क बताते हैं।
ओस्टियोअर्थराइटिस, अर्थराइटिस का सबसे आम प्रकार है, जबकि रूमेटाइड अर्थराइटिस सबसे ज़्यादा दर्द का कारण बनता है। ओस्टियोअर्थराइटिस, आमतौर पर उम्र के साथ होने वाली बीमारी है। जिसके लक्षणों में जोड़ों में दर्द और अकड़न होना शामिल है। जबकि, रूमेटाइड अर्थराइटिस, एक ऑटोइम्यून बीमारी है जहां शरीर का इम्यून सिस्टम हेल्दी सेल्स को अटैक करना शुरू कर देता है, जिससे जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न पैदा होने लगती है।
आइए जानें कि रूमेटाइड अर्थराइटिस और ओस्टियोअर्थराइटिस में क्या फर्क है?
ओस्टियोअर्थराइटिस
जब उम्र के साथ जोड़ों के बीच मौजूद कार्टिलेज ख़त्म होने लगता है, तो इसकी वजह से हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती हैं, जिसे ऑस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं। इसलिए जब व्यक्ति चलता है या सीढ़ियां चढ़ता है, तो उसे जोड़ों में दर्द महसूस होता है। यह अर्थराइटिस का सबसे आम प्रकार है, जो उम्र के साथ कई लोग झेलते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस
यह ऑटोइम्यून इंफ्लामेटरी अर्थराइटिस का सबसे आम कारण है, जो एक प्रतिशत आबादी को प्रभावित करता है और पुरुषों की तुलना महिलाओं में ज़्यादा देखा जाता है। इसके विकास के पीछे मोटापा, धूम्रपान, महिला लिंग, गठिया का पारिवारिक इतिहास अहम जोखिम कारक हैं। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों को घेरने वाली झिल्लियों की परत पर हमला करती है। यह क्रॉनिक सूजन का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न हो सकती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस आंतरिक अंगों जैसे, रक्त वाहिकाओं, नसों और त्वचा में भी सूजन पैदा कर सकता है। जो लोग इसका इलाज नहीं कराते उनकी जीवन प्रत्याशा कम होती है, हृदय रोग और लिंफोमा का जोखिम भी बढ़ जाता है।
कैसे होता है इनका इलाज
ओस्टियोअर्थराइटिस: इस बीमारी का मैनेजमेंट फिज़ियोथैरेपी, वज़न घटाना और कार्टिलेज बनाने वाली दवाइयों का सेवन शामिल है। जिनके जोड़े गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, उन्हें किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ की मदद से जॉइंट रिप्लेस्मेंट की आवश्यकता पड़ सकती है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस: इसका मैनेजमेंट दवाइयों की मदद से किया जाता है। इसके अलावा समय पर इलाज न होने की वजह से जॉइंट रिप्लेस्मेंट भी करवाना पड़ सकता है।
अर्थराइटिस किसी भी तरह का हो, रोज़ाना फिज़ियोथैरेपी, ध्यान और संतुलित डाइट आपके जोड़ों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, समय पर निदान, सही इलाज और लाइफस्टाइल में बदलाव की मदद से आप एक आम जीवन जी सकते हैं।
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