जानिए मिर्गी से जुड़े कुछ मिथक
मिर्गी आने पर पानी के छींटे मारना, पानी/चीनी/एनर्जी ड्रिंक देना, प्याज/चप्पल सूंघना, किसी धातु की वस्तु को धकेलना/मुंह में उंगलियां डालना
ज्यादातर जगहों पर यह मिथक है कि मिर्गी या मिर्गी के दौरे किसी प्रकार की मानसिक बीमारी का संकेत है या फिर किसी बाबा या साधु का अभिशाप है, परंतु हकीकत में ऐसा नहीं है मिर्गी का दौरा पड़ना एक प्रकार की मानसिक समस्या के रूप में देखा जा सकता है। जिसका इलाज किसी ओझा व तांत्रिक से नहीं बल्कि मनो-चिकित्सकीय विधि द्वारा ही करना चाहिए। एनएच एसआरसीसी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट (पेडियाट्रिक न्यूरोलॉजी एंड कंपलेक्स एपिलेप्सी) डॉ. प्रदन्या गडगिल कहते हैं कि मिर्गी सभी उम्र के बच्चों को प्रभावित कर सकती है यह सामान्य तौर पर जनसंख्या के 1% हिस्से को प्रभावित करती है। हालांकि कुछ बच्चों में मिर्गी के लक्षण दिखना सामान्य बात है। इसको लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं, जिस कारण मिर्गी पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। आइए मिर्गी से जुड़े कुछ भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश करते हैं।
मिर्गी का इलाज और प्राथमिक उपचार:
मिर्गी को लेकर फैलाए गए भ्रम से लोग चिकित्सकीय प्रक्रिया के तरफ ध्यान नहीं दे पाते हैं, बल्कि गलत भ्रांतियों में फंसकर गलत तरीके से इसका उपचार करने के बारे में सोचते हैं जो कि घातक हो सकती है। इसको लेकर लोगों में तमाम तरह की भ्रांतियां हैं जैसेः
मिथकः-देसी इलाज करना
मिर्गी आने पर पानी के छींटे मारना, पानी/चीनी/एनर्जी ड्रिंक देना, प्याज/चप्पल सूंघना, किसी धातु की वस्तु को धकेलना/मुंह में उंगलियां डालना ही उसे ठीक करने की सबसे पहली प्राथमिकता है जबकि ऐसा करना गलत है यह केवल अनुपयोगी ही नहीं है बल्कि इससे रोगी के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
तथ्यः सही प्रक्रिया यह है कि बेहोश रोगी को उसके बायीं ओर लिटा दें, उसके मुंह या चेहरे पर कुछ भी न डालें, भीड़ न लगाएं, अगर सक्रिय रूप से ऐंठन हो तो उसे नीचे न रखें और चिकित्सा सहायता के लिए कॉल करें। यह मिथक कि मिर्गी जादू टोना से ठीक हो जाएगा गलत है इससे रोगी को उचित उपचार नहीं मिल पाता और वह अत्यंत गंभीर स्थिति में जाने लगता है ऐसी स्थिति में मिर्गी से पीड़ित बच्चेको किसी नजदीकी डॉक्टर या फिर बाल रोग विशेषज्ञ से तुरंत दिखाना चाहिए। अगर आप प्राथमिक स्तर पर यह कदम उठाते हैं तो आप सही दिशा में जाने के लिए पहला कदम रखते हैं, यदि कोई नजदीकी डॉक्टर है तो आपके बच्चे को किसी बाल चिकित्सा न्यूरोलॉजिस्ट से मिलाने के लिए परामर्श दे सकते हैं इस दौरान बच्चों का कुछ परीक्षण जैसेः
1-ब्लड टेस्ट
2- ईईजी
3-एमआरई स्कैन
मिथकः दवाओं की लत
तथ्यः एक और मिथक है कि रोगी को इन दवाओं की आदत लग सकती है और यह दवाई हानिकारक होती हैं बल्कि वास्तविकता में ऐसा नहीं है इन दवाओं के उपयोग से बच्चे न सिर्फ जल्द सही होने की दिशा में अग्रसर होते हैं बल्कि इसको लेकर लोगों में जो भ्रांतियां हैं कि वह सरासर गलत है यह दवाएं पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से बच्चों को सही करने में अपनी भूमिका निभा रही हैं और बच्चों में नशे की लत या फिर सुस्ती या नींद ना आए इसको लेकर के भी इन दवाओं का इस्तेमाल बच्चों में किया जा सकता है।
मिथकः विकलांग बनाता है मिर्गी
तथ्यः लोगों में मिर्गी से पीड़ित बच्चों को ले करके यह भ्रम है कि वह बुद्धिमान नहीं होते हैं, अजीब व्यवहार करते हैं, हिंसक होते हैं। बल्कि ऐसा नहीं है अधिकतर लोगों को यह सच्चाई नहीं पता कि उनमें इस प्रकार की कमियां नहीं होती बल्कि यह एक प्रकार का मस्तिष्क रोग के लक्षण है।
मिर्गी शायद ही कभी विकलांगता का कारण बन सकती है लेकिन इस प्रकार के भ्रम से बच्चों में भेदभाव और उनसे बदमाशी करना, व उनके आत्मविश्वास की कमी की ओर इशारा करता है इस प्रकार के मिथकों से इन बच्चों के साथ अलग प्रकार के व्यवहार किए जाते हैं उनके परिवार के साथ-साथ उनके शिक्षक उन बच्चों के पड़ोसियों व रिश्तेदारों के द्वारा उनके साथ गलत व्यवहार किए जाने के तरफ लोगों को आकर्षित करता है। मिर्गी से पीड़ित बच्चे भी सामान्य बच्चों की ही तरह पढ़ाई करने, अपना कैरियर संभालने, व अपने शौक पूरा करने, इसके साथ साथ शादी करने के भी अधिकारी हैं, इसलिए इस प्रकार के मिथकों द्वारा उनके साथ गलत व्यवहार करने की लोगों में आदत हो जाती है।