Life Style : कीमती है कश्मीर की कानी शॉल कई साल लग जाते है बनाने लाखों में है कीमत मोदी जी को है खास लगाव

Update: 2024-06-20 10:07 GMT
Life Style :  यह एक ऐसी रंग बिरंगी शॉल colourful shawl है जिसका इतिहास मुगलों के जमाने जितना पुराना है और इसे बनाने में एक महीने से लेकर साल भर से ज्यादा का वक्त भी लग जाता है। आज इसे कश्मीर की खूबसूरत वादियों में तैयार किया जा रहा है। बता दें, पश्मीना ऊन से तैयार होने वाली इस शॉल को बनाने के लिए लकड़ी की सलाइयों का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें कानी कहते हैं। मुगल शासन काल में भी इसे खूब पसंद किया जाता था। अपने सैकड़ों साल के इतिहास को समेटे हुए इस प्राचीन कला में भारत के कारीगर आज नए रंग भरने में जुटे हैं। आइए जानते हैं कि क्या कुछ है इसकी खासियत और कैसे भारत पहुंची थी यह कला।
15वीं शताब्दी में पहली बार फारसी और तुर्की Persian and Turkishबुनकर इस कला को कश्मीर लाए थे। हमेशा से ही इसकी बुनाई के लिए कारीगरों में धैर्य का होना बहुत जरूरी रहा है। वजह है कि कई बार एक शॉल को तैयार करने में ही 3-4 साल का वक्त बीत जाता है। इस दौरान उन्हें दिन में 6-7 घंटे काम करना होता है और एक शॉल को अपनी मेकिंग के दौरान एक दो नहीं, बल्कि 3-4 कारीगरों के हाथों से गुजरना पड़ता है। इसका प्रोसेस काफी हद तक किसी कालीन की बुनाई जैसा ही होता है। एक दिन में यह 1-2 सेंटीमीटर ही तैयार हो पाती है, बाकी यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कारीगर को कैसे डिजाइन बनाने के लिए दिया गया है।
जाहिर है जितना बारीक डिजाइन होता है, उसे बनाने में उतना ही ज्यादा वक्त लगता है। इसका प्रोसेस काफी हद तक किसी कालीन की बुनाई जैसा ही होता है। एक दिन में यह 1-2 सेंटीमीटर ही तैयार हो पाती है, बाकी यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कारीगर को कैसे डिजाइन बनाने के लिए दिया गया है। जाहिर है जितना बारीक डिजाइन होता है, उसे बनाने में उतना ही ज्यादा वक्त लगता है। क्या है इसकी खासियत?
कानी शॉल की सबसे खास चीज इसका रंग सिद्धांत
(Color Theory)
है, जो कि हमेशा से ही प्रकृति से प्रेरित (Inspired By Nature) रही है। आज कानी शॉल को श्रीनगर से करीब 20 किलोमीटर दूर, एक छोटे-से गांव कानीहामा (Kanihama) से एक बार फिर से जान फूंकने का काम किया जा रहा है। कहना गलत नहीं होगा, कि पुरानी कला में नया रंग भरते, भारत के कारीगरों का वाकई जवाब नहीं है।
पीएम मोदी के वार्डरोब में भी शामिल
कानी शॉल Kani Shawlलंबे वक्त से भारत के राजा-महाराजाओं 
Kings and Maharajas 
की पोशाक में शामिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Prime Minister Narendra Modi के कंधे पर भी आपने कई बार इस शॉल को देखा होगा। इसे बनाने की अनूठी कला के बारे में कश्मीर के आठवें सुल्तान गयास-उद-दीन ने ज़ैन-उल-अबिदीन से वाकिफ कराया था। उसी के बाद से यह दुनियाभर में कई लोगों के दिलों पर कब्जा किए हुए है। बता दें, मुगल राजाओं, सिख महाराजाओं और ब्रिटिश British अभिजात वर्ग की शोभा बढ़ाने में इस शॉल की बड़ी भूमिका मानी जाती थी।
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