Janmashtami 2021: जन्माष्टमी के पर्व पर ये बड़े ग्रह रहेंगे वक्री, ये राशि वाले दे खास ध्यान
30 अगस्त 2021 को जन्माष्टमी का पावन पर्व है. इस दिन ग्रहों की चाल सभी राशियों को प्रभावित कर रही है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Janmashtami 2021: जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व भादो कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी के रूप में मनाने की परंपरा है. इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. इस दिन ग्रहों की स्थिति क्या रहेगी, आइए जानते हैं.
जन्माष्टमी के दिन ग्रहों की स्थिति मेष से मीन राशि तक के जातकों को प्रभावित कर रही है. जन्माष्टमी के दिन चार ग्रह वक्री रहेंगे. राहु और केतु के साथ दो बड़े ग्रह इस दिन वक्री रहेंगे. ये ग्रह शनि और गुरु हैं.
राहु वक्री 2021 (Rahu Vakri 2021)
जन्माष्टमी के दिन राहु वृष राशि में रहेगा. ज्योतिष शास्त्र में राहु का पाप ग्रह माना गया है. राहु वर्तमान समय में वृषभ राशि में गोचर कर रहा है. वर्ष 2021 में राहु को राशि परिवर्तन नहीं है. राहु को मायवी ग्रह भी कहा गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु सदैव वक्री ही रहता है.
केतु वक्री 2021 ( Ketu Vakri 2021)
केतु भी इस दिन वक्री अवस्था में रहेगा. केतु भी राहु की तरह पाप ग्रह माना गया और ये भी हमेशा वक्री ही रहता है. यानि उल्टी चाल चलता है. ज्योतिष शास्त्र में केतु को मोक्ष का भी कारक माना गया है. जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं का भी कारक केतु है. वर्तमान समय में vrikshik
शनि वक्री 2021 (Shani Vakri 2021)
शनि देव भी जन्माष्टमी के दिन वक्री रहेंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्तमान समय में मकर राशि में शनि देव गोचर कर रहे हैं. इस समय शनि देव वक्री हैं. जन्माष्टमी के दिन भी यही अवस्था बनी रहेगी. पंचांग के अनुसार 11 अक्टूबर 2021 को शनि वक्री से शनि मार्गी होंगे. मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या. धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. जन्माष्टमी पर इन राशियों को भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से लाभ प्राप्त होगा.
गुरु वक्री 2021 (Guru Vakri 2021)
कुंभ राशि में गुरु विराजमान हैं. गुरु को देव गुरु बृहस्पति भी कहा जाता है. वर्तमान समय में गुरु, कुंभ राशि में वक्री होकर गोचर कर रहे हैं. जन्माष्टमी के दिन भी गुरु वक्री ही रहेंगे