डिप्रेशन यानी अवसाद, एक ऐसी मानसिक बीमारी है जिसका जिक्र हम आए दिन सुनते हैं। यह सिर्फ बड़ों की ही समस्या नहीं है, बल्कि बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। हालांकि, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि वे खुद इस समस्या को न समझ पाते हैं और न ही किसी से शेयर कर पाते हैं। बच्चों की इस स्थिति का पता लगाना माता-पिता के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यह स्थिति बच्चों के लिए भी आसान नहीं होती, जिस उम्र में उसको हंसना-खेलना चाहिए, वो इस उम्र में मानसिक समस्याओं से जूझ रहा होता है।
ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों में आ रहे बदलाव पर नजर रखें। जब बच्चा तनाव में होता है, तो उसके पूरे स्वभाव पर इसका असर पड़ता है। मसलन, छोटी-छोटी बात पर चिड़ जाना या रो देना उनकी मनोदशा को बताता है। अगर आप भी अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर परेशान हैं, तो इन संकेतों से पहचानें कि कहीं वे तनाव में तो नहीं?
बच्चे की एक्टिविटी पर रखें नजर
अपने बच्चे की मानसिक स्थिति को जानने के लिए इस बात पर नजर रखें कि वह अपनी सोच या भावना को कैसे व्यक्त करता है। अगर आपको बच्चे में किसी तरह के बदलाव दिखते हैं, तो उन्हें टोकें नहीं। टोकने से बच्चा आगे से आप से सच बोलने में झिझक महसूस करेगा। बच्चे को समय दें और अपना व्यवहार दोस्ताना ही रखें। बच्चे से पूछें कि उन्होंने दिनभर क्या किया, कौन-सा गेम खेलें, किन दोस्तों से मिलें। जिससे वह अपनी बात पेरेंट्स से आसानी से शेयर कर पाएंगे।
खाने में बदलाव
तनाव में भूख का मिट जाना एक आम लक्षण है, जो बच्चों में भी देखा जा सकता है। अगर बच्चा अक्सर भूख न लगने की वजह से खाना स्किप कर रहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह भी मानसिक बीमारी का संकेत हो सकता है।
मूड-स्विंग होना
बढ़ती उम्र में बच्चे कई तरह के बदलावों से गुजरते हैं। हार्मोनल बदलावों की वजह से बच्चों में भी मूड स्विंग हो सकते हैं। लेकिन बच्चा अगर अक्सर चिड़चिड़ा, गुस्सा और बेवजह उदास रहने लगे तो, यह संकेत भी डिप्रेशन की ओर इशारा करते हैं।
व्यवहार का हिंसक हो जाना
बच्चा हर छोटी बात पर झगड़ा करने लगे या उनका व्यवहार आक्रामक होने लगे तो यह चिंता का विषय है, ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे के हिंसक व्यवहार का कारण जानना चाहिए और उन्हें सुधारने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए।
जब बच्चा जरूरत से ज्यादा चुप रहने लगे
अगर आपका बच्चा किसी बात से दुखी है और उसने बात करनी बंद कर दी है, तो इस स्थिति को आप गंभीरता से लें। बच्चे का जरूरत से ज्यादा चुप रहना भी तनाव का कारण हो सकता है