इंटरमिटेंट फास्टिंग और टाइप 2 डायबिटीज: मधुमेह रोगियों के लिए यह डाइट प्‍लान कितना सेफ है?

कोशिकाओं को इंसुलिन प्रतिरोधी बना सकती है। हालांक‍ि इससे जुड़ी ज्‍यादा रिसर्च नहीं हैं।

Update: 2022-07-22 10:00 GMT

इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने के ल‍िए दुनियाभर में एक फेमस डाइट प्‍लान बन गया है। क्‍योंक‍ि कई मशहूर हस्तियां इस फास्टिंग पैटर्न का समर्थन करते हुए नजर आए है। लोग अपना वजन कम करने और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पारंपरिक उपवास पद्धति के इस संशोधित संस्करण को फॉलो कर रहे हैं। कई लोग इस डाइट पैटर्न करने लगे हैं। आमतौर पर अधिकांश के लिए ये पैटर्न प्रैक्टिस के तौर पर सुरक्षित है। केवल जब टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों की बात आती है, तो इस डाइट पैटर्न के बारे में सोचने की आवश्‍यकता है, आइए जानते हैं क‍ि डायबिटीज मरीजों के ल‍िए ये डाइट प्‍लान क‍ितना सुरक्षित है?


इंटरमिटेंट फास्टिंग की समस्या
जो लोग अपने रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने के लिए दवाएं या इंसुलिन लेते है, उन्‍हें अपने शर्करा के स्तर को संतुलित करने के लिए नियमित अंतराल पर कुछ खाना जरुरी होता है। इसलिए उन्हें अपने ग्लूकोज स्तर को संतुलित करने के लिए पूरे दिन अपने भोजन के समय को अलग रखने की सलाह दी जाती है। इस स्थिति से पीड़ित होने पर उपवास करने से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है (रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से कम हो जाता है), जिससे व्यक्ति थका हुआ, चिंतित, पीला, भूखा और चिड़चिड़ा महसूस करता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग में तय घंटों के लिए खाने से बचना होता है और बचे हुए घंटों में सभी कैलोरी का सेवन करना होता है। उपवास की अवधि 10 घंटे, 16 घंटे या एक दिन की हो सकती है, जो आपके द्वारा चुने गए

इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार पर निर्भर करता है।


इस खाने के पैटर्न से बचने के अन्य कारण
इंटरमिटेंट फास्टिंग के साथ एक और समस्या यह है कि इससे हाइपरग्लेसेमिया (रक्त शर्करा का स्तर बढ़ा हुआ) हो सकता है। ऐसा तब होता है जब आप सभी कैलोरी का बार-बार सेवन करते हैं, ज्यादातर समय आप फास्टिंग तोड़ते समय और जब आप भूखे होते हैं। रक्त शर्करा के स्तर में यह अचानक वृद्धि मधुमेह से संबंधित जटिलताओं जैसे तंत्रिका क्षति, दृष्टि हानि, गुर्दे की बीमारी, हृदय रोग और स्ट्रोक का कारण बन सकती है।

क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग से बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा?
शोध बताते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कम करने, शरीर को अंदर से ठीक करने, उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने और यहां तक कि टाइप 2 मधुमेह सहित पुरानी बीमारियों के विकास के जोखिम को कम करने में प्रभावी है। लेकिन कुछ शोधकर्ता यह भी सुझाव देते हैं कि लंबे समय तक इस जीवनशैली का पालन करने से टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा भी बढ़ सकता है। रक्त शर्करा के स्तर में अचानक वृद्धि और गिरावट अग्न्याशय पर दबाव डाल सकती है और कोशिकाओं को इंसुलिन प्रतिरोधी बना सकती है। हालांक‍ि इससे जुड़ी ज्‍यादा रिसर्च नहीं हैं।


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