अगर बार-बार बेहोशी का सामना करना पड़े तो इससे हल्के में नहीं ले बल्कि तुरंत इसका उपचार करें
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कुछ लोग बॉडी में इतनी ज्यादा कमज़ोरी महसूस करते हैं कि उनकी आंखों के सामने बार-बार अंधेरा आता है, उनकी सुध-बुध खो जाती है और वो पूरी तरह निढाल हो जाते हैं। ऐसी हालात कुछ समय तक रहती है उसके बाद खुद ही होश भी आ जाता है। ऐसी बेहोश कभी-कभी सालों में हो जाए तो वो कमजोरी की वजह हो सकती है, लेकिन अक्सर ऐसी परेशानी रहे तो आपके लिए खतरे की घंटी बजना लाज़मी है।
इस बीमारी का मुख्य कारण न्यूरोलॉजिकल हैं जिसमें हाथ-पैर के आवेग पर नियंत्रण नहीं रह पाता। अगर बार-बार बेहोशी का सामना करना पड़े तो इससे हल्के में नहीं ले बल्कि तुरंत इसका उपचार करें। अगर समय रहते इस बीमारी का उपचार हो जाए तो इसका इलाज संभव है। ज्यादा देर होने पर दिल के रोग होने का खतरा बढ़ सकता है।
बेहोशी से दिल को हो सकता है नुकसान:
बेहोशी को मेडिकल टर्म में सिंकोप कहते हैं। इस बीमारी की वजह से खून का बहाव ब्रेन में कम हो जाता है। ब्लड प्रेशर इतनी तेज़ी से नीचे गिरता है कि दिल ब्रेन में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता खो देता है। बेहोशी के कारण न सिर्फ शरीर के बाहरी हिस्सों में चोट लग जाती हैं बल्कि हार्ट के अंदरुनी हिस्से को भी भारी नुकसान पहुंचता है।
लगातार बेहोशी से कार्डिएक एरिथेमिया का खतरा अधिक:
लगातार बेहोश होने से कार्डिएक एरिथेमिया का खतरा अधिक होता है। कार्डिएक एरेथेमिया में हार्ट बीट अचान बहुत तेज या अचानक बहुत कम हो जाती है। यानी दिल की धड़कनों में बहुत तेजी से उतार-चढ़ाव आने लगता है।
जितने लोग भी बेहोशी की बीमारी की शिकायत करते हैं उनमें से 10 फीसदी लोग कार्डिएक एरिथेमिया की बीमारी से पीड़ित होते हैं। अगर सही डॉक्टर के पास जाया जाए तो 80 प्रतिशत मामले में लगातार बेहोशी के कारणों का पता चल सकता है और उसका समय पर इलाज भी हो सकता है।
न्यूज़ क्रेडिट: navyugsandesh