शुगर डिटॉक्स से जुड़े इन मिथ्स पर करते हैं भरोसा, तो जानें इनकी सच्चाई
इसलिए चीनी का सेवन हमेशा कम मात्रा में ही करें। हालांकि, सिर्फ यह कहना कि मधुमेह की वजह सिर्फ चीनी ही है, यह गलत है।
यह तो हम सभी जानते हैं कि जरूरत से ज्यादा शुगर का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकता है। इसलिए, जो लोग हेल्थ कॉन्शियस होते हैं, वह अपनी सेहत का ख्याल रखने के लिए चीनी का सेवन कम से कम करना चाहते हैं। इतना ही नहीं, कभी-कभी तो वह शुगर डिटॉक्स करने के बारे में भी सोचते हैं। यह शरीर में अत्यधिक शुगर के कारण होने वाली समस्याओ को मैनेज करने में मदद करती है।
आमतौर पर, इंटरनेट पर शुगर डिटॉक्स को लेकर इतनी जानकारी अवेलेबल है कि व्यक्ति के लिए सही-सही जानकारी जुटाना काफी मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी तो यह व्यक्ति को भ्रमित करने वाला भी होता है। कई अलग तरह की जानकारियों के कारण व्यक्ति कई मिथ्स पर भरोसा भी करने लगता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको शुगर डिटॉक्स से जुड़े मिथ्स और उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-
शुगर क्या है?
शुगर डिटॉक्स से जुड़े मिथ्स के बारे में जानने से पहले आपको इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानना चाहिए। शर्करा कार्बोहाइड्रेट होते हैं, और वे हमारे आहार में ऊर्जा का स्रोत प्रदान करते हैं। आमतौर पर, लोग चीनी को ही शुगर मानते हैं। लेकिन कई अलग-अलग शर्करा होते हैं, और जबकि कुछ प्राकृतिक रूप से कुछ खाद्य पदार्थों में होते हैं, जैसे कि फल और डेयरी उत्पाद, अन्य निर्मित होते हैं और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में जोड़े जाते हैं। इसके अलावा, साधारण शर्करा, या मोनोसेकेराइड में ग्लूकोज और फ्रुक्टोज शामिल हैं। वहीं, सफेद दानेदार चीनी एक मिश्रित चीनी या डिसैकराइड है जिसे सुक्रोज के रूप में जाना जाता है, जिसमें ग्लूकोज और फ्रुक्टोज होते हैं। इसके अलावा, चीनी कई अलग-अलग रूप ले सकती है, जिसमें सफेद, कच्ची, या ब्राउन शुगर, हनी, या कॉर्न सिरप शामिल हैं।
मिथक 1: चीनी मधुमेह का कारण बनता है
सच्चाई- टाइप-2 डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के रक्त में शर्करा लंबे समय तक बहुत अधिक रहती है। यदि ब्लड में शुगर लेवल हाई होता है, तो इससे व्यक्ति को अंधापन से लेकर हृदय रोग (सीवीडी) तक होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। चूंकि मधुमेह होने पर ब्लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है, इसलिए एक आम धारणा है कि बहुत अधिक चीनी का सेवन करने से मधुमेह होता है। बता दें कि इंसुलिन चीनी या ग्लूकोज को आपके लीवर, मांसपेशियों और वसा कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है। डायबिटजी में हाई ब्लड शुगर हार्मोन इंसुलिन की कमी या सही तरह से काम ना करने के कारण होता है।
हालांकि, यहां यह भी समझना आवश्यक है कि मोटापे और मधुमेह का घनिष्ठ संबंध है क्योंकि टाइप -2 मधुमेह वाले 90 प्रतिशत लोग मोटे होते हैं। चूंकि मोटापा शरीर को इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बनाता है, इसलिए शरीर के लिए रक्त शर्करा को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, एक गतिहीन जीवन शैली और व्यायाम की कमी भी मधुमेह के जोखिम में योगदान करती है क्योंकि 80 प्रतिशत रक्त ग्लूकोज हमारी मांसपेशियों द्वारा अवशोषित किया जाता है। जब हम शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं, तो रक्त ग्लूकोज को स्टोर करने के लिए कहीं नहीं होता है, जो असंख्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। बहुत अधिक चीनी का सेवन करने से कैलोरी की अधिकता होगी, लंबे समय तक वजन बढ़ेगा और मोटापा होगा, जो अप्रत्यक्ष रूप से मधुमेह के जोखिम को प्रभावित कर सकता है। इसलिए चीनी का सेवन हमेशा कम मात्रा में ही करें। हालांकि, सिर्फ यह कहना कि मधुमेह की वजह सिर्फ चीनी ही है, यह गलत है।