रोना सेहत के लिए कैसे है फायदेमंद, इन 6 पॉइंट्स से समझे

Update: 2023-07-04 15:45 GMT
अक्सर रोना कमजोरी की निशानी मानी जाती है लेकिन आप नहीं जानते होंगे कि सेहत के लिए जितना हंसना जरुरी है उतना ही रोना भी। मेडिकल साइंस की मानें तो रोने के ढेर सारे फायदे हैं। ऐसे में आज हम बताने जा रहे है कि रोने से आपको क्या-क्या फायदें हो सकते है।
आंखों की रोशनी बनी रहती है
अगर आंखों में मेमब्रेन सूखने लगता है तो रौशनी में फर्क आने लगता है। जिस वजह से लोगों को कम दिखना शुरू हो जाता है। ऐसे में आंसू आंखों में मेमब्रेन को सूखने नहीं देते और आंखों की रोशनी लंबे समय तक ठीक बनी रहती है।
​शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद
रोना हमारे अलग-अलग इमोशन्स की वजह से ट्रिगर होता है। जब हम दुखी होते हैं, उदास होते हैं, किसी बात को लेकर टेंशन या स्ट्रेस में होते हैं तो कई बार रोना आ जाता है। कई बार एकाएक मिली खुशी से भी रोना आ जाता है। शोध में पाया गया है कि रोना आपके शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद है और इसकी शुरुआत तभी से हो जाती है जब बच्चा जन्म लेते वक्त पहली बार रोता है।
स्ट्रेस होता है कम
भावनात्मक आंसू जिसमें स्ट्रेस हॉर्मोन्स और टॉक्सिन्स की मात्रा सबसे अधिक होती है और इनका बह जाना फायेदमंद होता है। ऐसे में रोने से शरीर में इन केमिकल्स की मात्रा कम होती है क्योंकि ये केमिकल्स आंसूओं के जरिए आंखों से बह जाते हैं जिससे आपका स्ट्रेस कम होता है। एक स्टडी के मुताबिक, जिस तरह से पसीना और यूरिन जब शरीर के बाहर निकलते हैं तो शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं, वैसे ही आंसू आने पर भी आंखों की सफाई हो जाती है।
रोने से खुद को शांत करने में मिलती है मदद
खुद को सांत्वना देना बड़े से बड़े टेंशन को दूर करता है और खुद को शांत रखने में मदद करता है। स्टडी से जुड़े अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो रोने से हमारे शरीर में पैरासिम्प्थेटिक नर्वस सिस्टम (पीएनएस) उत्तेजित हो जाता है और इसी पीएनएस की वजह से शरीर को आराम करने और डाइजेशन में मदद मिलती है।
​रोने से मन होता है हल्का
बड़े लोग कहते है जब आपको कोई दर्द हो तो रोने से मन हल्का हो जाता है। यह बिलकुल सही बात है। रोने से ऑक्सिटोसिन और इन्डॉर्फिन जैसे केमिकल्स रिलीज होते हैं। ये फील गुड केमिकल हैं जिससे शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही तरह के दर्द को कम करने में मदद मिलती है। एक बार जब ये केमिकल्स रिलीज हो जाते हैं तो ऐसा लगता है मानो शरीर सुन्न की अवस्था में पहुंच जाता है। ऑक्सिटोसिन हमें राहत का अहसास कराता है और इसी वजह से रोने के बाद हमारा मन हल्का हो जाता है।
​मूड होता है बेहतर
रोने की वजह से जब हमारा मन हल्का होगा तो हमारा मूड भी बेहतर होने लगेगा। जब आप रोते हैं या सिसकियां लेते हैं तो ठंडी हवा के कुछ झोंके शरीर के अंदर जाते हैं जिससे ब्रेन का तापमान कम होता है और शरीर का तापमान भी रेग्युलेट होने लगता है। जब आपका दिमाग ठंडा हो जाता है तो आपका मूड भी बेहतर हो जाता है।
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