सेहत के लिए कितना फायदेमंद है मटर
सब्जियों में मटर का दाना साइज में सबसे छोटा माना जाता है, लेकिन इसके आकार पर मत जाइए. इसमें गुणों का जो मेल-जोल है,
सब्जियों में मटर का दाना साइज में सबसे छोटा माना जाता है, लेकिन इसके आकार पर मत जाइए. इसमें गुणों का जो मेल-जोल है, वह बहुत कम सब्जियों में मिलता है. पाषाण युग में पैदा हुई मटर की सबसे बड़ी विशेषता तो यही है कि वह मनुष्य के 'दिल को संभालकर' रखती है. इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन होती है, लेकिन वसा बहुत कम पाई जाती है, इसलिए यह शरीर को जवान बनाए रखती है. छोटी सी इस मटर का इतिहास बड़ा ही रोचक माना जाता है.
पाषाण युग में पैदा हो चुकी थी मटर
इस बात में कोई दो-राय नहीं है कि मटर की उत्पत्ति बहुत ही प्राचीन काल से है. यानी पृथ्वी पर यह हजारों साल से खाई जा रही है. लेकिन इस बात को लेकर कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है कि इसे सबसे पहले दुनिया के किस भाग में उगाया गया, क्योंकि कई रिसर्च रिपोर्ट इसका उत्पत्ति केंद्र अलग-अलग स्थानों पर बता रही हैं. 'वेजिटेबल' पुस्तक के लेखक व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिश्वजीत चौधरी का दावा है कि मटर की उत्पत्ति पाषाण युग में ही हो चुकी थी और इथोपिया इसका मूल केंद्र है. एक अन्य रिपोर्ट भी यह मानती है कि यह प्राचीन काल की उपज है और इसका उत्पत्ति केंद्र संभवत: दक्षिण-पश्चिमी एशिया, उत्तरीय पश्चिमी भारत, पूर्व सोवियत रूस के निकटवर्ती क्षेत्र और अफगानिस्तान माने जाते हैं.
दूसरी ओर अमेरिका की ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी की वनस्पति वैज्ञानिक व एसोसिएट प्रोफेसर सुषमा नैथानी का कहना है कि मटर का उत्पत्ति केंद्र पृथ्वी का मेडिटेरियन सेंटर यानी भूमध्यीय सागर के आसपास का क्षेत्र है, जिसमें ग्रीस, सीरिया, तुर्की, इज़राइल, इराक और जॉर्डन आदि देश आते हैं. दावा यह भी किया जा रहा है कि 10 हजार साल पहले मटर की खेती मध्य पूर्व में की गई थी और चार हजार साल पहले मटर की खेती पूरे यूरोप और पूर्व भारत में फैल गई थी. इसी दौरान चीन में भी इसकी उत्पत्ति हुई.
चरकसंहिता में मटर का कोई वर्णन नहीं है
विशेष बात यह है कि 2000 ईसा पूर्व हड़प्पा संस्कृति में मटर की खेती की जानकारी मिली है. विशेषज्ञों का कहना है कि उस युग में गेहू, जौ, मटर, बाजरा, कपास सरसों, राई, तिल आदि की खेती की जा रही थी. इसके अलावा भी मटर की उत्पत्ति को लेकर अलग अलग सेंटर बताए जा रहे हैं. लेकिन इस बात को लेकर कोई भ्रम नहीं है कि दुनिया में मटर का सेवन हजारों साल से किया जा रहा है. हैरानी की बात यह है कि ईसा पूर्व सातवीं-आठवीं शती में लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' में मटर को वर्णन नहीं है. इस मसले पर आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि असल में शुरुआती दौर में मटर को जंगली फसल माना जाता था, बाद में इसकी खेती की गई. संभव है कि जंगल में उगने के चलते इस ग्रंथ में इसका वर्णन न किया गया हो.
भोजन को स्वादिष्ट बनाती है मटर
सब्जी के रूप में मटर लाजवाब है. यह दलहन फसल है और कई सब्जियों के साथ इसका मेल भोजन में अतिरिक्त स्वाद भर देता है. सर्दी के मौसम में तो हर सब्जी के साथ मिलाकर इसकी सब्जी बनाई जाती है, साथ ही मटर के भरवां पराठे और मटर की दाल भी मन मोह लेती है. अब तो मटर को 12 महीने खाया जाता है. सर्दियों के अलावा बाकी मौसम के लिए छिलके से मटर के दानों को निकालकर उन्हें वैक्यूम कर फ्रोजन कर लिया जाता है. उसके बाद इसे कभी भी खाया जा सकता है. वैसे आहार विशेषज्ञ फ्रोजन मटर को शरीर के लिए स्वास्थकारी नहीं मानते. उनका कहना है कि इससे इसका स्वाद भी बदल जाता है, दूसरे, फ्रोजन मटर में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है, जो सेहत के लिए हानिकारक मानी जाती है. मटर की दाल भी बनती है. इसे सुखाकर जब इसे दबाया जाता है तो यह दो टुकड़ों में बंट जाती है, जो दाल के रूप में काम आती है.
हृदय रोग व स्ट्रोक के जोखिम को कम करती है
गुणों के मामले में यह छोटा दाना 'भरपूर' है. इसमें मटर में विटामिन ए, सी, डी और ई पाए पाए जाते हैं जो शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं. इसमें कुछ न्यूट्रिएंट्स भी पाए जाते है जो हड्डियों को मजबूत बनाते है. फूड एक्सपर्ट व होमशेफ सिम्मी बब्बर का मानना है कि मटर में फाइबर की पर्याप्त मात्रा होता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकाल देता है, जिससे हृदय रोग व स्ट्रोक के जोखिम कम हो जाते हैं. मटर खाने से रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्कों का जोखिम कम हो जाता है. यह शरीर के पित्त को भी खत्म करने में सहायता करती है. इसमें आयरन भी होता है, जो एनीमिया को रोकता है.
इसमें वसा कम होती है और प्रोटीन की मात्रा ठीक-ठाक होती है, जिससे बुढ़ापा देर में आता है. मटर में शरीर से ट्राइग्लिसराइड्स (मोटापा रोकने) के स्तर को कम करने का गुण होता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है. इसमें एंटी इनफ्लैमेटरी कम्पाउंड (पाचन तंत्र) और एंटी ऑक्सीडेंट (कोशिकाओं को मजबूत रखने वाले तत्व) होते है. जिससे दिल की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है.
ज्यादा सेवन से पाचन व गैस की समस्या
मटर शरीर को भी निखारता है. अगर कुछ दिनों तक मटर के आटे का उबटन चेहरे पर मला जाए तो झाई और धब्बे रुक जाते हैं. ताजा मटर के दानों को पीसकर शरीर के जले हुए स्थान पर लगाने से जलन शांत हो जाती है. सामान्यत: मटर खाने से कोई नुकसान नहीं है,