Healthy Baby Food: गाजर और बादाम से ऐसे बनाएं बेबी फूड, हाइट और वजन दोनों तेजी से बढ़ेंगे
6 महीने के होने के बाद शिशु बेबी फूड खाना शुरू करता है।
6 महीने के होने के बाद शिशु बेबी फूड खाना शुरू करता है। उम्र के हिसाब से बच्चे को अलग-अलग तरह के बेबी फूड खिलाए जाते हैं। आप बेबी के लिए गाजर, पोहे और बादाम से भी फूड बना सकती हैं।
यहां हम आपको एक साल या इससे अधिक उम्र के बच्चे के लिए हेल्दी बेबी फूड की रेसिपी और इससे मिलने वाले फायदों के बारे में बता रहे हैं।
कैसे बनाएं बेबी फूड
3 बादाम लें और उन्हें पहले अच्छी तरह से धो लें।
बादाम को रातभर या 6 घंटे के लिए भीगने के लिए रख दें।
इसके बाद बादाम के छिलके उतार कर रख लें।
अब एक गाजर लें और उसे छिल लें।
गाजर के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें और उसे मिक्सी में डाल दें।
गाजर के साथ इसमें बादाम और आधा कप दूध भी डालें।
इसे अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें।
बेबी फूड बनाने की आगे की विधि
अब एक पैन लें और उसमें भीगा हुआ दो चम्मच पोहा डालें।
फिर इसमें ब्लेंड की हुई गाजर की प्यूरी भी डाल दें।
अब इस पैन को गैस पर रखकर धीमी आंच पर 5 से 6 मिनट तक पकाएं।
इसके बाद एक चम्मच खजूर पाउडर और एक चम्मच घी डालें।
अच्छी तरह से मिक्स करें और फिर गैस बंद कर दें।
12 महीने से अधिक उम्र के बच्चे को यह बेबी फूड खिलाएं।
शिशु के लिए पोहा खाने के फायदे
शिशु का पेट बहुत छोटा होता है और उनका पाचन तंत्र भी ज्यादा मजबूत नहीं होता है। पोहा आसानी से पच जाता है जिससे बच्चे के पेट पर ज्यादा प्रेशर नहीं पड़ता है।
पोहा आयरन से भरपूर होता है और रोज किसी न किसी रूप में पोहा खाने से बच्चे को आयरन की कमी या एनीमिया नहीं होता है।
पोहा कार्बोहाइड्रेट से युक्त होता है और इससे फाइबर भी मिलता है।
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शिशु को गाजर खिलाने से क्या होता है
गाजर कोशिकाओं के विकास में मदद करती है। इम्यूनिटी को मजबूत रखने के लिए लिंफोसाइट्स और प्लेटलेट्स जरूरी होते हैं और गाजर बॉडी में इने दोनों की मात्रा को संतुलित में रखती है।
गाजर में विटामिन ए और बीटा कैरोटीन होता है जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है। ये आंखों के रेटिना की ग्रोथ को प्रभावित करता है। गाजर में ये दोनों ही तत्व उच्च मात्रा में होते हैं जिससे बच्चे की आंखों की रोशनी तेज होती है।
बादाम खाने के लाभ
छोटे शिशु को बादाम सीधे खाने के लिए नहीं दे सकते हैं लेकिन बेबी फूड में इन्हें जरूर लिया जा सकता है। बादाम में राइबोफ्लेविन और एल-कैरनिटिन होता है जो दिमाग की एक्टिविटी को उत्तेजित करने का काम करता है। बादाम बौद्धिक क्षमता को भी बढ़ाता है।
बादाम में उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो शिशु को कब्ज से बचाने का काम करता है। इसमें फास्फोरस भी होता है जो दांतों और हड्डियों के विकास में मदद करता है।
बादाम में एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं और बॉडी की इम्यूनिटी पॉवर को भी बढ़ाते हैं।