Health Tips स्वास्थ्य सुझाव: उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी पोषण संबंधी जरूरतें भी बदलती रहती हैं। जैसे एक नवजात शिशु और एक बढ़ते हुए बच्चे को एक जैसा आहार नहीं दिया जाता, उसी प्रकार उम्र के 20वें, 30वें और 40वें दशक तथा उसके बाद भी आहार में बदलाव करना जरूरी है। उम्र का बीसवां दशक ऊर्जा से भरपूर होता है और शरीर के सभी अंग बिना किसी परेशानी के काम करते हैं, लेकिन ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती है, त्यों-त्यों शक्ति कम होने लगती है और या पचासवें दशक तक आते-आते अकसर बहुत-सी बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। बढ़ती उम्र के साथ-साथ शारीरिक मजबूती, मानसिक सेहत और हमारे अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, इसलिए शरीर की पोषण संबंधी जरूरतों में भी बदलाव आता है। लिहाजा बेहतर यही होगा कि उम्र के अनुरूप आहार में भी जरूरी बदलाव लाया जाए ताकि सेहत दुरुस्त बनी रहे। चालीसवें
बदलाव है जरूरी
विशेषज्ञों के अनुसार किसी व्यक्ति की पोषण सबंधी जरूरतें उसकी आयु, कद, वजन और जीवनशैली जैसी बातों पर निर्भर करती है। जैसे युवावस्था में ज्यादा भागदौड़ और शारीरिक गतिविधियां होने के कारण ज्यादा कैलोरी और पोषण की जरूरत पड़ती है। इसी प्रकार उम्र बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक गतिविधियां कम होने लगती हैं, ऐसे में पोषण संबंधी जरूरतें भी बदल जाती हैं। तब शरीर की कैलोरी की जरूरत भले ही कम हो जाए, लेकिन कुछ पोषक तत्वों की जरूरत युवा लोगों से भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसी प्रकार मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को अपने आहार में ज्यादा बदलाव करना चाहिए क्योंकि इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में गिरावट पेट की चर्बी को बढ़ाने लगती है, लेकिन शरीर में ऊर्जा का स्तर ठीक बनाए रखने के लिए अन्य पोषक पदार्थों की मात्रा बढ़ानी पड़ती है।
इन्हें भी रखें याद
उम्र चाहे कोई भी हो, पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं ताकि शरीर सही ढंग से काम कर सके।
रात के समय पर्याप्त नींद लें ताकि दिन में तरोताजा और ऊर्जावान महसूस कर सकें।
उम्र के हिसाब से व्यायाम जरूर करें ताकि शारीरिक सक्रियता बनी रहे।
शारीरिक पोषण के साथ-साथ मानसिक सेहत का भी ध्यान रखें।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ भूख और स्वाद में बदलाव आने लगता है इसलिए खाने के नए सेहतमंद विकल्प जरूर आजमाएं।
साठ साल के बाद बहुत ज्यादा तेज मिर्च-मसाले और तले हुए आहार से परहेज करें वरना बदहजमी की समस्या हो सकती है।
मीठे के सेवन पर विशेष ध्यान दें वरना मधुमेह होने की आशंका बढ़ सकती है।
डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही हजम ना होने की स्थिति में कैल्शियम और प्रोटीन की पूर्ति प्लांट बेस्ड उत्पादों से की जा सकती है।
20 साल की उम्र और आहार
युवावस्था जीवन का सबसे ऊर्जावान और सेहतमंद समय होता है। बीस साल की उम्र वह समय होता है, जब शारीरिक और मानसिक सेहत सबसे दुरुस्त होती है। अकसर युवा इस उम्र में अपने खानपान पर ध्यान देने से चूक जाते हैं। दरअसल, युवावस्था से ही सेहत का ध्यान रखना मजबूत भविष्य की नींव रखने में मदद करता है। इस समय मांसपेशियों और हड्डियों का विकास होता है, जिसके लिए विटामिन-के, विटामिन-डी, कॉलेजन, फास्फोरस, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की बहुत जरूरत पड़ती है। इसी प्रकार प्रोटीन, पोटैशियम और ओमेगा-3 भी समुचित शारीरिक विकास के लिए जरूरी होते हैं। सेहतमंद भविष्य के लिए इस उम्र में अपने आहार में निम्न चीजों को जरूर शामिल करें:
दिल की सेहत दुरुस्त बनाए रखने के लिए पोटैशियम का सेवन जरूरी है, लिहाजा ताजे फल और मौसमी सब्जियां खाएं।
सूखे मेवे जैसे अखरोट, बादाम, मूंगफली तथा सूरजमुखी के बीजों में ओमेगा 3 प्रचुर मात्रा में होता है, जो दिमाग की सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
सेहतमंद वसा जैसे देसी घी, ऑलिव ऑयल या नारियल के तेल आदि संतुलित मात्रा में सेवन अवश्य करें।
30 की उम्र में आहार
बीसवां दशक पार करते-करते ज्यादातर महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों, बच्चों की परवरिश और दफ्तर के काम में व्यस्त हो जाती हैं। ऐसे में अपने ऊपर ध्यान देने का समय निकालना बहुत कठिन हो जाता है। पर, ऐसा करने से कमजोरी और ऊर्जा की कमी की समस्या हो सकती है, जो आगे चलकर ज्यादा गंभीर रूप भी ले सकती है। औसतन एक वयस्क तीस वर्ष की उम्र के बाद अपनी तीन से आठ फीसदी मांसपेशियां खो देता है, जिसे सार्कोपनिया के नाम से जाना जाता है। प्रोटीन से भरपूर आहार के नियमित सेवन से इस परेशानी से बचा जा सकता है। उम्र के तीसवें दशक में किन पोषक तत्वों पर दें ज्यादा ध्यान, आइए जानें:
शरीर में ऊर्जा का स्तर बनाए रखने के लिए फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे ब्रोकली, पालक, बथुआ आदि के साथ साबुत अनाज जैसे ज्वार व बाजरा का सेवन करें। ’बीन्स, ब्लूबेरी, रास्पबेरी, ब्लैकबेरी, टमाटर, अंगूर, खरबूजे, आलू और लहसुन आदि Antioxidants और फाइटोन्यूट्रिएंट्स का भंडार हैं। ये सभी खाद्य पदार्थ बढ़ती उम्र की रफ्तार को धीमा करने के साथ ही कैंसर जैसे रोगों से बचाव में बहुत सहायक होते हैं।
इस उम्र में आयरन की कमी होना सामान्य समस्या है, जिसे दूर करने के लिए पालक, मछली, मीट और खट्टे फलों जैसे संतरा, रसभरी तथा नीबू का सेवन अवश्य करें।
40 की अवस्था में आहार
मिडिल एज यानी अधेड़ उम्र युवावस्था तथा वृद्धावस्था के बीच का पड़ाव होता है। इस उम्र में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। असल में चालीस के बाद धीरे-धीरे हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी गिरावट आने लगती है, जिसका असर सेहत पर नजर आने लगता है। ऐसे में आहार में बदलाव करते हुए संतुलित पोषण का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है।
हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के लिए आहार में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दूध, पनीर, अंडे, दही, सोयाबीन और काले चने जरूर शामिल करें।
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त रखने और हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन-डी बेहद जरूरी है। इसलिए मछली, संतरा, मशरूम और अंडे के पीले भाग का सेवन करना चाहिए।
इस उम्र में पाचन तंत्र अकसर बिगड़ जाता है, जिसे फाइबर युक्त आहार, साबुत अनाज, रेशेदार फल, पत्तेदार सब्जियों और साबुत दालों के सेवन से सुधारा जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने तथा कैंसर के खतरे को कम करने के लिए साबुत अनाज, बीन्स, मटर और सोया को अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए।
मेनोपॉज के दौरान कैसा हो आपका आहार
आमतौर पर उम्र के चौथे दशक के अंत तक या पांचवें दशक की शुरुआत में अधिकांश महिलाओं का पीरियड बंद होने की कगार पर पहुंच जाता है। इस अवस्था को प्री-मेनोपॉज कहते हैं। इस अवस्था में ऊर्जा की कमी, थकावट, चिड़चिड़ाहट, नींद ना आना या पाचन सबंधी परेशानियां ज्यादा परेशान करने लगती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए नियमित व्यायाम के साथ-साथ अपने रोजाना के आहार पर पूरा ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है।
इस समय कैल्शियम, आयरन और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर आहार की ज्यादा जरूरत पड़ती है। इसलिए ग्रीन टी, कोको, बेरीज, साबुत अनाज, मौसमी फलों तथा ताजी सब्जियों का सेवन ज्यादा करना चाहिए।
दिमाग के सही संचालन के लिए विटामिन-बी 12 का प्रचुर मात्रा में सेवन करें। साथ ही विटामिन-डी और विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे संतरे और नीबू आदि का सेवन अवश्य करें।
इस उम्र में कम वसा तथा उच्च प्रोटीन युक्त आहार के सेवन पर जोर देना चाहिए ताकि अतिरिक्त कैलोरी की बजाय शरीर को जरूरी पोषण मिल सके।
मांसपेशियों के विकास के लिए प्रोटीन की समुचित मात्रा बहुत जरूरी है। अंडे, दूध, दालें व सोया चंक्स का नियमित सेवन करें।